मंगलवार, 31 जनवरी 2012

याद तेरी आ जाती है.....





                   



                                          याद तेरी आ जाती है.....

खेतों में जब फूली सरसों,
भूली - बीती   बातें बरसों,
जब कोयल कू कू की आवाज़ लगाती है.....
याद तेरी आ जाती है !

                                           सूरज ने फैलाई किरणें,
                                           सागर  की लहराई लहरें,
                                           जब दौड़-दौड़ के ये तट को छू जाती हैं......
                                           याद तेरी आ जाती है !

संझा को पंछी घर आते,
याद आते कुछ बिछड़े नाते,
जब तुलसी-चौरा में कोई दिया जलाती है.....
याद तेरी आ जाती है !

                                          पलकों में मेरी नींद नहीं,
                                          नैनों में कोई स्वप्न नहीं,
                                          छत पर पसरी शीतल चाँदनी जलाती है......
                                          याद तेरी आ जाती है !



27 टिप्‍पणियां:

  1. कभी चुप्पी
    कभी खुल कर
    हंसने की आदत
    ज़हन से नहीं हटती
    दिख के छुपना
    छुप के दिखना
    तेरी लुका छिपी की
    आदत नहीं भूलती
    याद तेरी आ जाती है

    यादों को खूबसूरत अंदाज़ से याद कराया आपने

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  2. पलकों में मेरी नींद नहीं,
    नैनों में कोई स्वप्न नहीं,
    छत पर पसरी शीतल चाँदनी जलाती है......
    याद तेरी आ जाती है !

    ऐसा माहौल होगा तो याद तो आएगी ही ना ...!

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  3. सच में पूनम जी , जिन सुन्दर -सुन्दर माहौल का वक्त का जिक्र किया है ऐसे में याद तो आएगी ही,,
    बहुत सुन्दर रचना है ....

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  4. कम करना जब याद मन में बसी हो तो हर चीज़ में वही नज़र आ जाती है |

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  5. बहुत सुन्दर रचना,सुन्दर भावाभिव्यक्ति.

    कृपया मेरे ब्लॉग"meri kavitayen" पर भी पधारें, अपनी राय दें, आभारी होऊंगा.

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  6. संझा को पंछी घर आते,
    याद आते कुछ बिछड़े नाते,
    जब तुलसी-चौरा में कोई दिया जलाती है.....
    याद तेरी आ जाती है !...
    hamare delhi ke flat me to tulsi chaura bhi nahi dikhta... fir bhi yaad teri aa jati hai:):):)
    bahut khubsurat abhivyakti!!

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  7. दिल तो बहाने खोजता है याद करने के..
    बहुत सुन्दर रचना....

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  8. संझा को पंछी घर आते,
    याद आते कुछ बिछड़े नाते,
    जब तुलसी-चौरा में कोई दिया जलाती है.....
    याद तेरी आ जाती है !

    बेजोड़ पंक्तियाँ...बधाई स्वीकारें

    नीरज

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  9. संझा को पंछी घर आते,
    याद आते कुछ बिछड़े नाते,
    जब तुलसी-चौरा में कोई दिया जलाती है.....
    याद तेरी आ जाती है ...

    उनकी यादों को आने का भी कोई बहाना चाहिए होता है ... लाजवाब रचना है ...

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  10. वाह मजा आ गया.... आपकी रचना लाजवाब है... धन्यवाद |
    मैं धन्य हो गया आपके ब्लॉग पे आकर |

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  11. बेहतरीन भाव पूर्ण सार्थक रचना,

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  12. ऐसे में याद आना स्वभाविक है ,
    बहुत सुंदर पंक्तियाँ लाजबाब प्रस्तुती
    .
    MY NEW POST ...40,वीं वैवाहिक वर्षगाँठ-पर...

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  13. पलकों में मेरी नींद नहीं,
    नैनों में कोई स्वप्न नहीं,
    छत पर पसरी शीतल चाँदनी जलाती है......
    याद तेरी आ जाती है !

    bahut hi sundar prastuti punam ji ....hardik badhai.

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  14. याद तेरी आ जाती है !

    संझा को पंछी घर आते,
    याद आते कुछ बिछड़े नाते,
    जब तुलसी-चौरा में कोई दिया जलाती है.....
    याद तेरी आ जाती है !
    बहुत बढ़िया रचना .गहन अनुभूति ,प्रेम से संसिक्त .

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  15. पलकों में मेरी नींद नहीं,
    नैनों में कोई स्वप्न नहीं,
    छत पर पसरी शीतल चाँदनी जलाती है......
    याद तेरी आ जाती है !

    यादों के बुलाना नहीं पड़ता और वह निश्चल भाव से आ ही जाती है. भावपूर्ण प्रस्तुति.

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  16. सूरज ने फैलाई किरणें,
    सागर की लहराई लहरें,
    जब दौड़-दौड़ के ये तट को छू जाती हैं......

    याद तेरी आ जाती है !

    अनुपम भाव संयोजन,
    सुन्दर प्रस्तुति.
    पढकर मग्न हो गया है मन.

    आभार.
    मेरे ब्लॉग पर आईएगा,पूनम जी.

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  17. ek link le aaya mujhe yahan tak :) aur ham bhi is yadon ke lazbaab safar me shamil ho gaye
    पलकों में मेरी नींद नहीं,
    नैनों में कोई स्वप्न नहीं,
    छत पर पसरी शीतल चाँदनी जलाती है......
    याद तेरी आ जाती है !

    waah kamaal ki kavita !

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