सोमवार, 9 जनवरी 2012

आंसू........




वो आंसू जो कभी बिन बुलाये ही आँखों में आ जाते हैं
वो आंसू जो हंसते हुए भी कभी चुपके से छलक जाते हैं
किसी के जाने के दर्द को जब हम सह कर भी सह नहीं पाते हैं....
तो क्या करें....................................................................?

कुछ  कहने  से पहले ही जब लफ्ज़  गले में अटक जाते हैं
तब कुछ न कह कर भी हमारे आंसू ही  सब कह जाते हैं
किसी की शक्ल को जब हम चाह कर भी भुला नहीं पाते हैं
तो क्या करें...............................................................??

कुछ आंसू हैं जो  हमारी पलकों  पर  ही  थम जाते हैं
कुछ आंसू जो आँखों में चाह कर भी आ  नहीं पाते हैं
कुछ आंसू जो अनजाने ही हमारे गालों पे लुढ़क जाते हैं
तो क्या करें...........................................................???


दिल्ली
१०-०१-२०१२  

14 टिप्‍पणियां:

  1. "अश्क हाल-ऐ-दिल बयाँ करते
    चुप रह कर भी सब कुछ कह देते"


    सुन्दर भाव्याक्ती के लिए बढाए स्वीकारें

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  2. कुछ ना करिये ...आंसुओं को बह जाने दिया जाये तभी दर्द कम होता है..
    बहुत सुन्दर रचना.

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  3. सब कुछ तो आंसू कर रहे हैं ..बचा ही क्या है करने को .. अच्छी भावाभिव्यक्ति

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  4. कभी कभी हम नही कह पाते है पर हमारे आंसू सारी बाते कह देती है...
    सुंदर अभिव्यक्ती

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  5. मन के भाव आंसुओं में ...
    सुंदर रचना

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  6. अश्को की ज़ुबानी......बहुत खुबसूरत है......तस्वीर भी लाजवाब है.......थोड़ी बड़ी करके लगनी थी|

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  7. thanx to all....!!!

    इमरान...
    इतनी बड़ी ही तस्वीर मिली थी मुझे....!
    एक बात आपकी अच्छी है...आपके सुझाव..!!
    thanx !

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  8. कुछ कहने से पहले ही जब लफ्ज़ गले में अटक जाते हैं
    तब कुछ न कह कर भी हमारे आंसू ही सब कह जाते हैं
    किसी की शक्ल को जब हम चाह कर भी भुला नहीं पाते हैं
    तो क्या करें..

    दिल के कुछ लफ्ज़ जो,होठों पे नही आते हैं
    नीर बन करके ही ,नयनों से गुजर जाते हैं
    सुन्दर अभिव्यक्ति ....

    vikram7: हाय, टिप्पणी व्यथा बन गई ....

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  9. दिल के अरमा आसुओं में बह गए,जब कोई बात दिल को लगती है और हम उसे सहन नही कर पाते,वह दर्द आँसू बनकर बह जाता है
    बहुत सुंदर प्रस्तुति,बेहतरीन रचना
    welcome to new post --काव्यान्जलि--यह कदंम का पेड़--

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  10. कुछ कहने से पहले ही जब लफ्ज़ गले में अटक जाते हैं
    तब कुछ न कह कर भी हमारे आंसू ही सब कह जाते हैं
    किसी की शक्ल को जब हम चाह कर भी भुला नहीं पाते हैं
    तो क्या करें........?????

    जबाब मिले तो मुझे भी बताना पूनम जी !

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  11. ख़ुशी और गम के प्रतीक ये आंशु किसी के रोके नहीं रुकते और अनायास
    छलक कर हमारे भावों को समझा देते हैं . सुन्दर रचना

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