शनिवार, 29 अक्तूबर 2011

समर्पण.....



समर्पण....

मेरी ज़िंदगी में
एक ऐसा मोड़ आया
जब लगा कि
हाथ से सब छूट गया
जब अपने भी
साथ छोड़ गए थे,
उस वक़्त.....
बस तुम साथ थे !!
और मैंने सब कुछ
पा लिया था दुबारा,
वो मैं जो खो गई थी कहीं...
लगभग मृतप्राय सी...
तुम्हारे हाथ का स्पर्श पा कर
फिर से लौट आयी अपने-आप में,
और एक बार फिर से 
सांस लेने लगी मैं !
और आज हर वक़्त...
हाँ !अब हर वक़्त
तुम हो साथ मेरे !!
तुम्हारे साथ मैं कितना हूँ ?
मैं नहीं जानती..!
जानना चाहती भी नहीं !!
मेरी साँसें लौटा दीं हैं
तुमने एक बार फिर !
इस सब के लिए आज 
यदि मैं खुद को 
तुम्हें सौंप दूं तो.... 
क्या तुम्हें मंज़ूर होगा....?? 


रविवार, 23 अक्तूबर 2011

बड़े अच्छे....



करे बेनूर जिन्दगी, खुदा उन रंगों से !
हमारी जिन्दगी के दाग बहुत अच्छे हैं !!

हो गए हम भी होशियार उनकी सोहबत में !
वो समझते रहे हमको, अभी हम बच्चे हैं !!

न हुआ खुश वो हमारी लाख कोशिशों के बाद !
तब समझ आया ये,लाखों से हम भी अच्छे हैं !!

छोड़ हमको यहाँ तन्हा, बनाए रिश्ते  कई !
हम समझते रहे, खाविंद मेरे अच्छे  हैं !!

छुपा लीं तोहमतें उनकी, इस दिल में या रब !
वो समझने लगे ज़ालिम, के बड़े सच्चे हैं !!

बुधवार, 12 अक्तूबर 2011


कुछ ख्यालात.......


याद आती है कोई मखमली आवाज़ मुझे,
दिल से महसूस हुई आज कोई बात मुझे !

मैं कैसे खुद को भुला दूं तेरे इन अश्कों में,
अब तो हर वक़्त यही बात सताती है मुझे !

तू मेरे सामने है फिर भी नज़र नहीं आता,
मूँद लूँ  आँखें मैं अपनी ये ख़याल आये मुझे !

मेरा तुझसे जो नाता केवल एक दर्द का है,
क्यूँ मेरे दिल में उतर कर सताए जाए मुझे !


(कभी नेकी भी उसके जी में गर आ जाये है मुझसे
जफ़ाएं करके अपनी याद शर्मा जाये  है मुझसे )

मंगलवार, 4 अक्तूबर 2011

कहीं वो तुम तो नहीं.............???


एक चेहरा है जो  हर  चेहरे में  मिल जाता है !
जब भी की  आँखें  बंद वो ही नज़र आता है !!

कभी शब्दों को  बदल गीत वो बन जाता है  !!
फिर वही गीत  मेरे  होठों पे बस  जाता   है !

बस के आँखों में मेरे दिल में उतर जाता है !
कभी बन फूल मेरी जुल्फों को महकता है !!

बन के मुस्कान मेरे चेहरे पे खिल जाता है !
सुनहरी  धूप सा रौशन मुझे कर जाता है !!

न कोई  नाम, न पहचान,  न रिश्ता है कोई !!
फिर भी कुछ है मेरा,जो सबमें नज़र आता है !

मेरा  सब कुछ   है वो, हर वक़्त साथ है मेरे !!
एक चेहरा जो बस अपना सा लगता है मुझे !

मैं   खोजती  हूँ   उसे   अपनों में  बेगानों  में !!
वो जो छुपता है औ'फिर मुझमें ही मिल जाता है !!