वो अधूरी सी मुलाकात अभी बाकी है,
मेरे हाथों में अभी तेरी नमी बाकी है !
चाहा था तुमने जो कहना और जो कह न सके,
उन सभी बातों की वो बात अभी बाकी है !
उतर के आ गयी थी आँखों में जो नमीं तेरी ,
तेरी उन आँखों की बरसात अभी बाकी है !
मेरे हाथों को छूके खुद ही शरमा जाना तेरा,
मेरे हाथों में वो मीठी सी छुअन बाकी है !
लौट आयेंगे वो लम्हात कभी फिर तन्हा,
ऐ मेरे दोस्त ! वो मुलाकात अभी बाकी है !
मीठे एहसासों से सजी रचना .............
जवाब देंहटाएंलौट आयेंगे वो लम्हात कभी फिर तन्हा,
जवाब देंहटाएंऐ मेरे दोस्त ! वो मुलाकात अभी बाकी है !wah....
उतर के आ गयी थी आँखों में जो नमीं तेरी ,
जवाब देंहटाएंतेरी उन आँखों की बरसात अभी बाकी है !
गजब का शेर , मुबारक हो ......
बहुत खूबसूरत ... मुलाकात का इंतज़ार करिये .
जवाब देंहटाएंbahut sundar khayalat...
जवाब देंहटाएंsundar rachana...
लौट आयेंगे वो लम्हात कभी फिर तन्हा,
जवाब देंहटाएंऐ मेरे दोस्त ! वो मुलाकात अभी बाकी है !
क्या बात है....बहुत खूब ...!
हर लफ्ज में एक अलग ही कशिश भरी हुई है !
मुझे तो बहुत ही बेहतरीन लगा !
रचना अगर ऐसी ही सरल सुन्दर एवं भावपूर्ण हो
तो पढने वाले को सीधे आत्मा में समा जाती है !
मेरी नई पोस्ट पे आपका इन्तेजार है !
वाह!!!पूनम जी बहुत अच्छी सुंदर गजल ,बढ़िया अभिव्यक्ति रचना अच्छी लगी.....
जवाब देंहटाएंnew post--काव्यान्जलि : हमदर्द.....
लौट आयेंगे वो लम्हात कभी फिर तन्हा,
जवाब देंहटाएंऐ मेरे दोस्त ! वो मुलाकात अभी बाकी है !
पूनम जी लाजवाब ग़ज़ल बहुत खूबसूरत बहुत उम्दा !
लौट आयेंगे वो लम्हात कभी फिर तन्हा,
जवाब देंहटाएंऐ मेरे दोस्त ! वो मुलाकात अभी बाकी है !
...
आमीन !
लौट आयेंगे वो लम्हात कभी फिर तन्हा,
जवाब देंहटाएंऐ मेरे दोस्त ! वो मुलाकात अभी बाकी है !...बहुत सुन्दर..लाजवाब ग़ज़ल
बहुत बढ़िया.
जवाब देंहटाएंमुलाक़ात तो हुई,मगर बात न हुई
जवाब देंहटाएंबगल में बैठे थे,पर अपने में खोये थे
शायद झिझक रहे थे,सोच रहे थे
कैसे शुरू करें?
दिखाने को नज़र सामने थी,
पर जान कहीं और अटकी थी
बातें बहुत कहने को थी,
बरसों से जो भरी थी
इसी उहापोह में,वक़्त निकल गया
जाने का समय हो गया,
वो चले गये,सवाल फिर छोड़ गये
मन की बात मन में ही रह गयी
जो कहनी थी,अनकही रह गयी
मुलाक़ात तो हुई,मगर बात न हुई
04-09-2010
poonam jee ,
जवाब देंहटाएंaapko dhanywaad preshit kar rahaa hoon
मेरे हाथों को छूके खुद ही शरमा जाना तेरा,
जवाब देंहटाएंमेरे हाथों में वो मीठी सी छुअन बाकी है ...
बहुत खूब ... गज़ब का एहसास लिए ... कमाल का शेर ... सुभान अल्ला ...
kis liye Dr.saheb...??
जवाब देंहटाएंलौट आयेंगे वो लम्हात कभी फिर तन्हा,
जवाब देंहटाएंऐ मेरे दोस्त ! वो मुलाकात अभी बाकी है !
बहुत सुन्दर पूनम जी ....
मेरे हाथों को छूके खुद ही शरमा जाना तेरा,
जवाब देंहटाएंमेरे हाथों में वो मीठी सी छुअन बाकी है !
लौट आयेंगे वो लम्हात कभी फिर तन्हा,
ऐ मेरे दोस्त ! वो मुलाकात अभी बाकी है !
बहुत ही खूबसूरती से संजोया है इन शब्दों को...
कभी मेरे ब्लॉग पर भी आईये...
मेरे हाथों को छूके खुद ही शरमा जाना तेरा,
जवाब देंहटाएंमेरे हाथों में वो मीठी सी छुअन बाकी है !
Vah poonam ji badhai gazal ka maksad poora karane wala sher ....vakai poori ki poori gazal lajabab lagi ...badhai
सभी शेर बहुत अच्छे हैं.........चौथे शेर में 'अभी' छुट गया है शायद|
जवाब देंहटाएंहार्दिक बधाइयाँ..आपको पढ़कर बहुत ख़ुशी हुई..
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