शुक्रवार, 27 सितंबर 2013

तेरी छत पे था चमका एक तारा...



तेरी छत पे था चमका एक तारा...
न जाने किस लिए तुमने पुकारा..!

न था वो चाँद मेरा आशना यूँ...
मगर तुमको भरोसा कब हमारा..!

तुम्हारी राह पर नज़रें बिछायीं...
कुसूर इतना ही था केवल हमारा..!

जमाना देखता है जिसको हरदम.. 
वही महबूब होगा अब हमारा..! 

निगाहों में कोई तो ख्वाब आये...
कोई तो राज़दां हो अब हमारा..!





मंगलवार, 24 सितंबर 2013

ख्वाहिश.....




नज़र की ख्वाहिश का दिल बीमार था रोता रहा..
रात भर  आँखों  से .... तेरा  इंतजार होता रहा..!!

चाँद कब से सो रहा था बादलों की ओट में..
आँख मेरी  नम हुई जब साथ वो रोता रहा..!!

बज़्म मेरी थी मगर था जिक्र तेरा हर तरफ..
थे  बहुत बीमार....तेरा फिक्र ही होता रहा..!!

याद के झोंकों ने जब भी कर दिया गाफिल हमें..
आसमां  का  इक  सितारा  साथ  में  रोता रहा..!!

अब फलक से लौट के आवाज़ भी आती नहीं..
कौन  है  बेबस  मेरी  आवाज़  पे  सोता  रहा..!!

थीं तो यूँ बातें बहुत 'पूनम' बताने  के लिए..
रात भर बस एक तेरा जिक्र ही होता रहा..!!






शनिवार, 21 सितंबर 2013

तुम्हारी छत पे चमका एक तारा....








तुम्हारी छत पे चमका एक तारा.. 
बताओ तो उसे.. किसने पुकारा
भला कब था हमारा आशना वो मगर तुमको भरोसा कब हमारा
निगाहों में कई हैं... ख्वाब आये नहीं है राज़दां........कोई हमारा
हमारा प्यार...... तेरा मुन्तजिर है तुम्हीं समझे......नहीं कोई इशारा..
ज़माने में तुम्हें....... ढूंढा किये हैं पता पूनम कोई.... तो दे तुम्हारा



रविवार, 8 सितंबर 2013

नाम जब भी तेरा लिया मैंने....





नाम जब भी तेरा लिया मैंने..
खुद से बदला सा इक लिया मैंने..

कोशिशें की न भूल पाई पर
खुद को नाहक़ थक़ा लिया मैंने...

अब मुहब्बत की क़ैद में हूँ मैं
खुद को आज़ाद कर लिया मैंने...

ज़िंदगी शाद हो गई गोया
तुझको खुद में छिपा लिया मैंने...

यूँ तो बदनाम है तेरी 'पूनम' 
पर मज़ा इस में भी लिया मैंने...


***पूनम***

सोमवार, 2 सितंबर 2013

हम अपना हाल उनको बताने से रह गए...



हम अपना हाल उनको बताने से रह गए...
आई जुबां पे बात  सुनाने  से रह गए...!!

उनको थी ये खबर कि मेरा दिल उदास है...
इस बार वो नज़र में  गिराने से रह गए...!!

थी तेज धार यूँ तो उनकी नश्तर-ए-जुबां...
लेकिन मैं बच गयी...वो चुभाने से रह गए...!! 

वो बेईमान भी...थी वफ़ा की उन्हें  कदर...
लेकिन वफा वो मुझसे निभाने से रह गए...!!

सोचा था दिल की बात बताऊँ उन्हें मगर...
हम अपने ही एहसास जुटाने से रह गए...!!

कर के उजाड़ दिल मेरा एहसास ये हुआ...
वो अपना ही सामान सजाने से  रह गए...!!

हमने सजाया दिल को उनके ही रिवाज़ से...
अफ़सोस था उन्हें...वो जताने से रह गए...!!

यूँ तो हुए हैं और भी कुछ आशना-ए-दिल...
'पूनम' तुझे ही दिल में बिठाने से रह गए...!!



***पूनम***