याद तेरी आ जाती है.....
खेतों में जब फूली सरसों,
भूली - बीती बातें बरसों,
जब कोयल कू कू की आवाज़ लगाती है.....
याद तेरी आ जाती है !
सूरज ने फैलाई किरणें,
सागर की लहराई लहरें,
जब दौड़-दौड़ के ये तट को छू जाती हैं......
याद तेरी आ जाती है !
संझा को पंछी घर आते,
याद आते कुछ बिछड़े नाते,
जब तुलसी-चौरा में कोई दिया जलाती है.....
याद तेरी आ जाती है !
पलकों में मेरी नींद नहीं,
नैनों में कोई स्वप्न नहीं,
छत पर पसरी शीतल चाँदनी जलाती है......
याद तेरी आ जाती है !
कभी चुप्पी
जवाब देंहटाएंकभी खुल कर
हंसने की आदत
ज़हन से नहीं हटती
दिख के छुपना
छुप के दिखना
तेरी लुका छिपी की
आदत नहीं भूलती
याद तेरी आ जाती है
यादों को खूबसूरत अंदाज़ से याद कराया आपने
पलकों में मेरी नींद नहीं,
जवाब देंहटाएंनैनों में कोई स्वप्न नहीं,
छत पर पसरी शीतल चाँदनी जलाती है......
याद तेरी आ जाती है !
ऐसा माहौल होगा तो याद तो आएगी ही ना ...!
बहुत खूबसूरत रचना
जवाब देंहटाएंसच में पूनम जी , जिन सुन्दर -सुन्दर माहौल का वक्त का जिक्र किया है ऐसे में याद तो आएगी ही,,
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना है ....
कम करना जब याद मन में बसी हो तो हर चीज़ में वही नज़र आ जाती है |
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना,सुन्दर भावाभिव्यक्ति.
जवाब देंहटाएंकृपया मेरे ब्लॉग"meri kavitayen" पर भी पधारें, अपनी राय दें, आभारी होऊंगा.
संझा को पंछी घर आते,
जवाब देंहटाएंयाद आते कुछ बिछड़े नाते,
जब तुलसी-चौरा में कोई दिया जलाती है.....
याद तेरी आ जाती है !...
hamare delhi ke flat me to tulsi chaura bhi nahi dikhta... fir bhi yaad teri aa jati hai:):):)
bahut khubsurat abhivyakti!!
बहुत सुन्दर ...
जवाब देंहटाएंदिल तो बहाने खोजता है याद करने के..
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना....
संझा को पंछी घर आते,
जवाब देंहटाएंयाद आते कुछ बिछड़े नाते,
जब तुलसी-चौरा में कोई दिया जलाती है.....
याद तेरी आ जाती है !
बेजोड़ पंक्तियाँ...बधाई स्वीकारें
नीरज
धन्यवाद.....
हटाएंसंझा को पंछी घर आते,
जवाब देंहटाएंयाद आते कुछ बिछड़े नाते,
जब तुलसी-चौरा में कोई दिया जलाती है.....
याद तेरी आ जाती है ...
उनकी यादों को आने का भी कोई बहाना चाहिए होता है ... लाजवाब रचना है ...
वाह मजा आ गया.... आपकी रचना लाजवाब है... धन्यवाद |
जवाब देंहटाएंमैं धन्य हो गया आपके ब्लॉग पे आकर |
तो इस धन्य को धन्यवाद.....!!
हटाएंसुन्दर रचना.....निश्चित ही सराहनीय......
जवाब देंहटाएंनेता,कुत्ता और वेश्या
बेहतरीन भाव पूर्ण सार्थक रचना,
जवाब देंहटाएंऐसे में याद आना स्वभाविक है ,
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर पंक्तियाँ लाजबाब प्रस्तुती
.
MY NEW POST ...40,वीं वैवाहिक वर्षगाँठ-पर...
सुन्दर रचना.
जवाब देंहटाएंबहुत प्रशंसनीय.......
जवाब देंहटाएंपलकों में मेरी नींद नहीं,
जवाब देंहटाएंनैनों में कोई स्वप्न नहीं,
छत पर पसरी शीतल चाँदनी जलाती है......
याद तेरी आ जाती है !
bahut hi sundar prastuti punam ji ....hardik badhai.
BAHUT KHUB
जवाब देंहटाएंPALKO ME MERI NIND NAHI
याद तेरी आ जाती है !
जवाब देंहटाएंसंझा को पंछी घर आते,
याद आते कुछ बिछड़े नाते,
जब तुलसी-चौरा में कोई दिया जलाती है.....
याद तेरी आ जाती है !
बहुत बढ़िया रचना .गहन अनुभूति ,प्रेम से संसिक्त .
पलकों में मेरी नींद नहीं,
जवाब देंहटाएंनैनों में कोई स्वप्न नहीं,
छत पर पसरी शीतल चाँदनी जलाती है......
याद तेरी आ जाती है !
यादों के बुलाना नहीं पड़ता और वह निश्चल भाव से आ ही जाती है. भावपूर्ण प्रस्तुति.
यादों पर कब किसका बस चला है..
जवाब देंहटाएंसूरज ने फैलाई किरणें,
जवाब देंहटाएंसागर की लहराई लहरें,
जब दौड़-दौड़ के ये तट को छू जाती हैं......
याद तेरी आ जाती है !
अनुपम भाव संयोजन,
सुन्दर प्रस्तुति.
पढकर मग्न हो गया है मन.
आभार.
मेरे ब्लॉग पर आईएगा,पूनम जी.
heart touching lines...
जवाब देंहटाएंvisit on my blog...thanks
ek link le aaya mujhe yahan tak :) aur ham bhi is yadon ke lazbaab safar me shamil ho gaye
जवाब देंहटाएंपलकों में मेरी नींद नहीं,
नैनों में कोई स्वप्न नहीं,
छत पर पसरी शीतल चाँदनी जलाती है......
याद तेरी आ जाती है !
waah kamaal ki kavita !