मंगलवार, 19 अगस्त 2014

मेरी जान......







एक बार तुमने कहा था...
"मुझसे मिलने की एक ही शर्त है...
तुम्हारी जान मेरी ही होनी चाहिए.."
मैंने बड़ी जुगत लगाई...
लेकिन जान तुम्हारी न हो पायी...!
आज एहसास हुआ है कि
हमारी जान तो एक ही है...!
फिर भी इस बार अपनी जान
साथ ले ही आई हूँ...
और टाँग दी है
तुम्हारे ही कमरे में...
दीवार की ऊँची खूंटी पर...!
अब केवल प्रेम लेकर
एक कोने में बैठी हूँ...!
तुम्हें ज़रूरत हो जब भी
मेरी जान को...
खूंटी से उतार कर पहन लेना....!!
एकदम झक्कास लगोगे उस दिन...!!

   



***पूनम***



नीला.......








तुम किस फूल के नाम से
पुकारते हो मुझे...
ये तो मैं नहीं जानती !
लेकिन....
वो चम्पई रंग
जो सुना था तुमने,
तुम्हारे मुँह से
मेरा नाम सुनते ही
सारा का सारा
मेरे सुफैद गालों पर
उतर आता है यक ब यक !
और जानते हो.....
उस पल के लिए
मेरा नाम नीला से चम्पा हो जाता है....!



***पूनम***
22/07/2014




सोमवार, 18 अगस्त 2014

न जाने कैसी ये दीवानगी है.....



अजब सी राह पर ये ज़िन्दगी है
नहीं मंजिल मगर ये चल पड़ी है...!

हुआ वो इस तरह पैबस्त दिल में

नज़र आती नहीं मौजूदगी है...!

तेरी राहें हैं रौशन चाँदनी से...

मेरी राहों पे बस अब तीरगी है

कभी झाँको मेरी आँखों में आकर

न जाने कैसी ये दीवानगी है...!!

न पूछा आज तक तुमने कभी भी

ये 'पूनम' रात में क्यूँ जल रही है...!!



18/8/2014