रविवार, 14 अप्रैल 2013

उसकी नज़र......










उनसे नज़र मिली तो हम बेहोश हो गए..
नज़रों ने किया वार था तलवार की तरह...!!

छुप छुप के कोई देखता रहता है रात भर..
गोया छुपा हो बदलियों में चाँद की तरह...!!

हमने तो उसको एक ज़माने से नहीं देखा 
दिल में वो रह रहा है मेरे यार की तरह....!!

मेरी ये मुस्कुराहटें उसकी उसकी नियामतें...
वो देखता है यूँ दिल-ए-बीमार की तरह...!!


आज और अभी...





सोमवार, 8 अप्रैल 2013

नज़रें......




नज़रों को झुका कर उसने
आँचल को दांतों से जब दबाया...
आँखों में एक शोखी सी उभरी...
मानो काली रात में 
पूरा चाँद नज़र आया..!
जो तीर चले उसकी नज़रों से...
घायल हुए हैं दिल बेचारे...
प्यार किसे कहते हैं जानां...
हम कहते हैं....
हम दिल हारे.....!!!



अभी अभी.....






बुधवार, 3 अप्रैल 2013

तस्वीर.....







मेरे ज़ेहन में है एक तस्वीर...
जो अभी बनानी बाकी है...!
और बचे हैं कुछ 
फैले फैले से ज़ज्बात...
कुछ उड़े उड़े से ख़यालात...
कुछ बदन की सनसनाहट...
दबे होठों की मुस्कराहट...
किसी के अनजाने ही 

एकाएक छू जाने भर से 
एक अजीब सी सिहरन...
आसमां में उड़ते बादलों सी
किसी चेहरे की रंगत...
और भी बहुत कुछ बाकी है....
रंग भरने के लिए....!
लेकिन इस सबके लिए 
बस्ते में बचे रंग....
बहुत कम पड़ जा रहे हैं....!!






मंगलवार, 2 अप्रैल 2013

साथ साथ.....








गुज़र रही है मेरी उम्र इन ख्यालों में....
तू इन ख्यालों में न होता तो तू कहाँ होता....!!

मेरी तो शाम गुजरती है तेरी यादों में...
तू हकीकत में भी कुछ देर तो रुका होता...!!

तेरी फुरकत में बड़ी देर से उदास हूँ मैं...
जुदाई में मेरे हमदम तू भी रोया होता...!!

चलते चलते ये मेरी सांसें भी रुक जाती हैं...
तेरा ख्याल मेरे साथ साथ जब होता...!!