वो मेरे दिल से क्यूँ उतर जाये...
खुद कहे और खुद मुकर जाये...!
वो ख़फ़ा है अगरचे मुझसे तो...
कैसे तकदीर ये संवर जाए...!
उसकी महफिल में बात जो बिगड़ी...
क्या करूं अब कि वो सुधर जाये...!
राह चलते हुए मिला मुझको...
वो समझ पाए न किधर जाये...!
कोई आया नहीं यहाँ अब तक...
एक साया सा ही लहर जाए...!
उसने जाने की अब तो ठानी है...
या खुदा वक्त कुछ ठहर जाये...!
उलझने हद से बढ़ गयीं मेरी...
क्या करूं अब न वो नज़र आये...!
उसका दिल क्यूँ कोई दुखाता है...
गम नहीं मुझपे जो गुज़र जाये...!
काश ! शब लौट आये पूनम की...
चांदनी दर पे फिर बिखर जाए...!