गुरुवार, 16 जनवरी 2014

मेरे अपने......






इक खुशी तुझसे मिलने की
इक गम तुझसे बिछड़ने का...
कुछ ख्वाब हैं अनछुए से
और दर्द है टूट जाने का... 
जो नींद में भी नहीं आते 
इंतज़ार है ऐसे सपने का...
छू गया जो मुझको चुपके से
एक हाथ है कोई अपने का...
कोई मुझसे बात करता है
कोई मुझमें मुझ सा रहता है
है ये साथ मेरे अपने का...
है ये साथ मेरे अपने का...!!


***पूनम***




शुक्रवार, 10 जनवरी 2014

कौन दुनिया में ऐसा...जिसे गम नहीं...





कौन दुनिया में ऐसा...जिसे गम नहीं...
एक तुम ही नहीं...एक हम ही नहीं ...!!

दे रहा था गली में...सदा देर से...
ऐसा आशिक...किसी को मिलेगा नहीं...!!

चाँद चमका तो था...बस ज़रा देर को...
तेरे चेहरे के आगे...टिकेगा नहीं...!!

ज़ुल्फ़ बिखरा दो...शाने पे मेरे अगर..
शाम हो जायेगी...दिन रहेगा नहीं...!!

आप महफिल में आये...बड़ी देर से..
अब ठहर जाइये...जाइयेगा नहीं...!!



गुरुवार, 9 जनवरी 2014

हम यहीं थे कभी...हम यहीं हैं अभी...!




वो उठाते नहीं...नाज़ नखरे कभी...
हम कहाँ जायेंगे...आ गए...बस अभी...!
जब कभी फिक्र हो तो बुला लीजिए..
हम यहीं थे कभी...हम यहीं हैं अभी...!

नींद मेरी उड़ा के वो पूछा किये...
आप सो जाइए...हम जगेंगे अभी...! 

नाम रोशन हुआ इस कदर है यहाँ..
छोड़ महफ़िल को ना जायेंगे हम कभी..

दोस्त कहते हो हमको...खफा तुम ही हो...
है बुरी बात...बदलो अभी के अभी...!!

अब इजाज़त हमें दीजिए बज़्म से...
हम मिलेंगे यहीं...शुक्रिया है अभी...!