रविवार, 15 जनवरी 2012

दवा............







मिलता था कभी मुझसे अकेले में वो शक्स...
न जाने क्यूँ मिले बिना ही शाम हो गयी !
 
                            इस तरह वो गया बेरहम मुझको छोड़ कर...
                            साँसें गयी यूँ थम कि मेरी जान ही गयी..!
 
हो जाती है जैसे जुदा इस जिस्म से ये रूह..
होकर जुदा उससे ये अब जान मैं गयी !
 
                            न जाने किस खता की सजा उसने दी मुझे..
                            की कोशिशें बहुत मगर नाकाम ही  गयी !
 
जो उसने दी सजा  तो वो  इनाम हो गयी..
मरने की दी दवा तो बड़ा काम कर गयी !
 
 
 
बोधगया
१६-०१-२०१२
 

22 टिप्‍पणियां:

  1. जो उसने दी सजा तो वो इनाम हो गयी..
    मरने की दी दवा तो बड़ा काम कर गयी !



    प्रेम की सजा न पूरी मौत न जिंदगी
    अब इसकी दवा-दारू क्या, कौन जाने |
    कितने दिन लगेंगे इससे उभरने में "रोहित"
    ये चोटें ठीक होगी भी या नहीं,कौन जाने |


    बहुत खूब.... शानदार,उम्दा,लाजवाब.....


    मैं आपको मेरे ब्लॉग पर सादर आमन्त्रित करता हैं.....

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  2. मिलता था कभी मुझसे अकेले में वो शक्स...
    न जाने क्यूँ मिले बिना ही शाम हो गयी !

    वाह .....लाजवाब

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  3. wah....aur kyaa likhoon ,samajh nahee aa rahaa
    aapkee kalam ke jaadoo mein kho gayaa
    हो जाती है जैसे जुदा इस जिस्म से ये रूह..
    होकर जुदा उससे ये अब जान मैं गयी !
    khoob soorat

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  4. बहुत खूब मुकम्मल |

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  5. इस तरह वो गया बेरहम मुझको छोड़ कर...
    साँसें गयी यूँ थम कि मेरी जान ही गयी..!

    Waah !! lajbaab sher is baar Punam ji ...ek mukammal gazal !

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  6. जो उसने दी सजा तो वो इनाम हो गयी..
    मरने की दी दवा तो बड़ा काम कर गयी !


    shandar najm hae

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  7. न जाने किस खता की सजा उसने दी मुझे..
    की कोशिशें बहुत मगर नाकाम ही गयी !

    बहुत खूब ..हमेशा की तरह !

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  8. जो उसने दी सजा तो वो इनाम हो गयी..
    मरने की दी दवा तो बड़ा काम कर गयी !
    आपके पोस्ट पर आना बहुत अच्छा लगा । मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है। .

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  9. हो जाती है जैसे जुदा इस जिस्म से ये रूह..
    होकर जुदा उससे ये अब जान मैं गयी !
    bahut khoob poonam ji .....badhai.

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  10. वाह!!!बहुत सुंदर रचना ,बेहतरीन प्रस्तुति,लालबाब.......
    welcome to new post...वाह रे मंहगाई

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  11. This is so so lovely.deep,touching, mesmerizing..khubsurat,prabhavsali pankitya.bahut kam shabdo me bahut gehra prabhav!shayri/kavita ka bemisal sangam punamji.

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    1. thanx rohit....
      kuchh jyada hi tareef kar di aapne....!!
      lekin achchha laga fir bhi...!!!
      thanx again..

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  12. जो उसने दी सजा तो वो इनाम हो गयी..:)
    aisa hota hai kya...
    khubsurat gajal...

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  13. कलम से नहीं हृदय से लिखी हुई लगती है आपकी कविता,
    जो उसने दी सजा तो वो इनाम हो गई,
    मरने की दी दवा तो बड़ा काम कर गई।
    कृपया इसे भी पढ़े-
    क्या यही गणतंत्र है

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