गुरुवार, 29 दिसंबर 2011

बस मैं......




मैं हूँ बस अपने तरह की ही....
न किसी से मिलती-जुलती,
न किसी की तरह,
होना ही चाहती हूँ मैं ! 
लोग न जाने क्यूँ....
मिलाना चाहते हैं मुझे
किसी न किसी से....
किसी के चेहरे से,
किसी के व्यवहार से,
किसी के व्यक्तित्व से,
किसी के विचार से,
या फिर अपने ही
सोच,विचार और व्यवहार से !
खुद तो चाहते नहीं
कि वो भी बदलें
अपने आप को कुछ-कुछ.....
लेकिन औरों को बदलने की
चाहतें सुगबुगाती रहती हैं
उनके दिल में हर वक्त !
क्या करें बेचारे....???
अपने ही दिल से मजबूर हैं...
और मैं भी क्या करूँ...?
खुद को इतना बदलने के बाद
लगने लगा कि....
मुझमें से मैं ही
निकल गयी हूँ कहीं दूर !
जिसके साथ, जिसके लिए
निकली थी मैं....
वो ही दूर हो गया मुझसे !
और जब उसी की
कुछ बातों ने झकझोर दिया
एक दिन अचानक मुझे
बाहर-भीतर तलक...
तो लगा कि
किसी के लिए
दूसरों की तरह होना
अपने-आप से नाइंसाफी है....
और फिर u turn.........!!
और आज मैं हूँ....
बिलकुल अपनी तरह,
न किसी की हमशक्ल,
न किसी की तरह !
बस........
खुदा की बनाई
फ़क़त एक  
"single piece........"

24 टिप्‍पणियां:

  1. अपने आप को अगले के अनुसार ढालने की कला-शक्ति केवल औरतों में ही होती है इसलिए हमारे समाज में लडकियाँ शादी के पश्चात लड़के के घर जाती है न की लड़का लड़की के घर, क्योंकि मर्दों में ये ताकत नहीं होती ! मैं औरत की इस शक्ति को नमन करता हूँ !

    बहुत अच्छी रचना !

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  2. ओह! आप तो बस आप ही हैं पूनम जी.

    आपका फोटो बहुत अच्छा लगा.

    मस्त मस्त.

    आनेवाले नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ.

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  3. वाह....कितना सच है किसी दुसरे के लिए बदल कर हम खुद अपने ही नहीं रह जाते और जब दुसरे को उसकी कद्र ही न हो फिर.........बहुत ही सुन्दर और शानदार पोस्ट.........हैट्स ऑफ इसके लिए|

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  4. बेहतरीन अभिव्यक्ति !

    नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ.

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  5. वाह!!!!!बहुत सुंदर प्रस्तुती बेहतरीन रचना,.....
    नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाए..

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  6. बहुत मार्मिक प्रस्तुति, सुन्दर अभिव्यक्ति, मन की भावों को कुरेदती हुयी प्रगतिशील रचना...

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  7. बहुत अच्छी प्रस्तुति बधाई|नव वर्ष शुभ और मंगलमय हो |
    आशा

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  8. khud bane rahnaa atyant aavashyak ,
    khud kaa vyaktitv hee aisaa ho jo doosron ko abhibhoot kare
    man se likhee huyee sundar rachnaa

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  9. बेहद खूबसूरत कृति

    ''मैं ''...की मैं से पहचान करवाती हुई


    नया साल मंगलमय हो

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  10. नव वर्ष की हार्दिक शुभ कामनाएँ।

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  11. खूबसूरत एवं लाजबाव रचना।
    नये वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें....

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  12. बेहद खूबसूरत रचना।
    नया साल मंगलमय हो

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  13. बहुत ही प्यारी सी कविता |पूनम जी नववर्ष की असीम शुभकामनाएं |

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  14. सुन्दर प्रस्तुति..
    आपको एवं आपके परिवार को नए वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं !

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  15. धन्यवाद..............
    आप मेरे ब्लाग में नहीं आती तो मैं इस सुरम्य बाग की सैर से वंचित रह जाती
    सादर
    यशोदा

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  16. खुद को बदल कर खुद से अजनबी हो जाते हैं ..जैसी हैं वैसी ही रहिये ..अच्छी प्रस्तुति

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  17. धन्यवाद यशोदा.....
    हम ऐसे ही घूमते-टहलते बाग़-बगीचों की सैर कराते हैं..!
    आपकी बगिया भी कम सुन्दर नहीं है....न जाने मैं वहां कैसे पहुँच गयी...
    शायद कुछ खुशबुएँ मुझे वहा तक खींच ले गयीं......!!
    पुन: धन्यवाद !!

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