अशआर मेरे यूँ तो ज़माने के लिए हैं !
कुछ शेर फ़कत तुझको सुनाने के लिए हैं !!
मेरी ज़रूरतों पे रहा मुझसे *बदगुमान !
एहसास तेरे यूँ तो जमाने के लिए हैं !!
(*किसी के प्रति बुरी धारणा रखना)
औरों के लिए लफ़्ज़ों में बरतता है एहतियात !
दे दीं दुहाइयां ये सजा मेरे लिए है !!
दुश्मन को भी न दे ऐसी सजा मेरे हमसफ़र !
रिश्ते बहुत से यूँ तो निभाने के लिए हैं !!
गर इश्क है दिलों में खा लें सूखी रोटियां !
पकवान यूँ तो ढेरों जमाने भर के लिए हैं !!
कायल हूँ तेरी*फ़ित्न:अन्दाजी पे मेरे दोस्त !
वर्ना बहुत से दोस्त जमाने में पड़े हैं !!
(*इधर की उधर लगाने की आदत,भड़काना)
गर दो दिलों में इश्क हो तो बनता है रिश्ता !
वर्ना बहुत से जिस्म बाजारों में पड़े हैं !!
दौलत के बल पे कौन खरीद पाया है ख़ुशी !
गर मिल गए हों दिल ख़जाने खुले पड़े हैं !!
1 दिसंबर,2011
वाह बहुत खूब ........ख़ास कर ये शेर
जवाब देंहटाएंकायल हूँ तेरी*फ़ित्न:अन्दाजी पे मेरे दोस्त !
वर्ना बहुत से दोस्त जमाने भर में पड़े हैं !!
(*इधर की उधर लगाने की आदत,भड़काना)
कायल हूँ तेरी*फ़ित्न:अन्दाजी पे मेरे दोस्त !
जवाब देंहटाएंवर्ना बहुत से दोस्त जमाने भर में पड़े हैं !!
:)पूनम जी! भावनाओ के स्तर पर एक बहुत ही उम्दा रचना ...आपकी बेबाकी हमेशा अच्छी लगती है!
गर दो दिलों में इश्क हो तो बनता है रिश्ता !
जवाब देंहटाएंवर्ना बहुत से जिस्म बाजारों में पड़े हैं !!
दौलत के बल पे कौन खरीद पाया है ख़ुशी !
गर मिल गए हों दिल ख़जाने खुले पड़े हैं !!
बिल्कुल सच बात कही हैं जी आपने....
बहुत ही अच्छी प्रस्तुती के लिए बधाई स्वीकारें...
आपका मेरे ब्लॉग पर हार्दिक अभिनन्दन
pliz join my blog........
wah kya baat hai....pure josh ke sath hosh ladane ki baat kahi hai. prabhavi prastuti.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति ..!
जवाब देंहटाएंहर एक शेर उम्दा ...!
मेरी नई पोस्ट पे आपका स्वागत है !
Sunil Kumar ने आपकी पोस्ट " अशआर.....कुछ यूँ भी....!! " पर एक टिप्पणी छोड़ी है:
जवाब देंहटाएंदौलत के बल पे कौन खरीद पाया है ख़ुशी !
गर मिल गए हों दिल ख़जाने खुले पड़े हैं !!
अच्छा शेर ...........
Manish Kr. Khedawat " मनसा " ने आपकी पोस्ट " अशआर.....कुछ यूँ भी....!! " पर एक टिप्पणी छोड़ी है:
जवाब देंहटाएंbahut sunder !
गर दो दिलों में इश्क हो तो बनता है रिश्ता !
वर्ना बहुत से जिस्म बाजारों में पड़े हैं !!
ye lines bas chhu gayi :)
बहुत उम्दा।
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा!
जवाब देंहटाएंसुन्दर भावो का अलग सा अहसास...
जवाब देंहटाएंदिगम्बर नासवा ने आपकी पोस्ट " अशआर.....कुछ यूँ भी....!! " पर एक टिप्पणी छोड़ी है:
जवाब देंहटाएंदुश्मन को भी न दे ऐसी सजा मेरे हमसफ़र !
रिश्ते बहुत से यूँ तो निभाने के लिए हैं ..
यूँ तो हर रिश्ता निभाने के लिए ही होता है ... बहुत ही लाजवाब शेर है इस गज़ल का ...
इमरान अंसारी ने आपकी पोस्ट " अशआर.....कुछ यूँ भी....!! " पर एक टिप्पणी छोड़ी है:-
जवाब देंहटाएंशानदार और खुबसूरत अशआर......एक खुबसूरत ग़ज़ल बन पड़ी थी........पर आखिरी के तीन शेरो ने उस मासूम की जान निकल दी, यूँ तो वो भी कमाल के हैं पर यहाँ से कुछ अलग लगे.......बानगी में हर्फ़ आ गया......अच्छा लिख रही आप उर्दू में|
दौलत के बल पे कौन खरीद पाया है ख़ुशी !
जवाब देंहटाएंगर मिल गए हों दिल ख़जाने खुले पड़े हैं !!
बहुत सुन्दर गजल ....ह्रदय को अंतर तक स्पर्श करती...
हार्दिक शुभ कामनाएं !!
अच्छी प्रस्तुति मुश्किल अल्फाजों के अर्थ दिए हैं अच्छा किया है .सभी अश -आर खूबसूरत .अशआर मेरे यूं तो ज़माने के लिए हैं ,कुछ शैर फकत उनको सुनाने के लिए हैं .बहुत अच्छा है .
जवाब देंहटाएंगर दो दिलों में इश्क हो तो बनता है रिश्ता !
जवाब देंहटाएंवर्ना बहुत से जिस्म बाजारों में पड़े हैं !!
दौलत के बल पे कौन खरीद पाया है ख़ुशी !
गर मिल गए हों दिल ख़जाने खुले पड़े हैं !!
सच्चाइयों से रूबरू करवाती पंक्तियाँ.... !
Kailash Sharma ने आपकी पोस्ट " अशआर.....कुछ यूँ भी....!! " पर एक टिप्पणी छोड़ी है:
जवाब देंहटाएंदुश्मन को भी न दे ऐसी सजा मेरे हमसफ़र !
रिश्ते बहुत से यूँ तो निभाने के लिए हैं!!
बहुत खूब! हरेक शेर बहुत उम्दा...
Vibha Rani Shrivastava ने आपकी पोस्ट " अशआर.....कुछ यूँ भी....!! " पर एक टिप्पणी छोड़ी है:
जवाब देंहटाएंगर दो दिलों में इश्क हो तो बनता है रिश्ता !
वर्ना बहुत से जिस्म बाजारों में पड़े हैं !!
दौलत के बल पे कौन खरीद पाया है ख़ुशी !
गर मिल गए हों दिल ख़जाने खुले पड़े हैं !!
सच्चाइयों से रूबरू करवाती पंक्तियाँ.... !