कोई कुछ कहता नहीं...फिर भी बोल जाता है...
ये वो प्याला है जो आँखों से छलक जाता है...!!
साथ न रह के भी हर वक्त साथ रहता है...
चलते-चलते वो सरे-राह भी रुक जाता है...!!
अपनी पलकों से कभी मूँद कर मेरी आँखें
अपनी आँखों से तु ही राह दिखा जाता है...!!
उसकी खुशबू से महक जाती है ये शोख हवा...
आसमां और भी रंगीन हुआ जाता है....!!
मेरे हमदम...मेरे साथी...मेरा अनजान सफर
तेरे साये में यूँ गुज़रा.....गुज़रता जाता है....!!
***पूनम***
२४/०८/२०१३
बहुत बढ़िया ग़ज़ल...
जवाब देंहटाएंहर शेर काबिले तारीफ़..
अनु
बहुत ख़ूबसूरत ग़ज़ल...
जवाब देंहटाएंसुंदर ग़ज़ल ..
जवाब देंहटाएंवाह !!! बहुत सुंदर गजल,,,
जवाब देंहटाएंRECENT POST : पाँच( दोहे )
लाजवाब प्रस्तुति
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