(मैंने ही उतारी ये तस्वीर भी....)
आज पूरा हूँ तो कल
थोड़ा कम हो जाऊंगा...
फिर उसके बाद और कम....
धीरे धीरे घटता ही
जाता हूँ मैं...!
लेकिन फिर भी पूरा ही
रहता हूँ मैं तो..!
तुम तक वापस आने के लिए
मुझे कई रूप बदलने होते हैं...!
तुम्हारे अँधेरे-उजाले...
मुझसे ही हैं...!
तुम्हारे दर्द के साथ घटता हूँ...
तुम्हारे प्यार के साथ बढ़ भी जाता हूँ...!
सब का मैं ही तो साक्षी हूँ....!!
हूँ न......!!!
आज की रात कुछ अजीब है...!
आज की बात भी अजीब है..!!
अभी अभी...
बंगलोर से...
२१/८/२०१३
कुछ मन के अहसास भी अजीब है ...ना जाने क्या क्या सोचते हैं
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