हमारी आँख का काजल
तुम्हारी आँख में हो...
ये सोच कर हमने
अपनी आँखों में
ढेर सा काजल डाला था !
नहीं ये मालूम था कि
तुम मुझे इतना रुलाओगे ,
मेरे आँखों के काजल को
यूँ ही बेबात बहाओगे !
यूँ तो रो रो के धुल गई
ये आँखे मेरी...!
लेकिन वो काजल भी बह गया
जो मैं तुम्हारी आँखों में
लगाना चाहती थी.....
बस...
मुझे उसी का अफ़सोस ज्यादा है !!
पूनम जी काजल की कहानी आपकी जुबानी सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंप्रेम का गहरा एहसास लिए ....
जवाब देंहटाएंतुम मिलो तो जिंदगी फिर आँख में काजल लगाये ।
जवाब देंहटाएंअतिसुंदर भाव लिए हुए...|
जवाब देंहटाएंअतिसुंदर भाव लिए हुए...|
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