सोमवार, 13 अगस्त 2012

यादों के खत.....







यादों के खत.....

                                          
                          किसी की यादों का अस्तित्व 
                              केवल खतों तक ही सीमित नहीं रहता...!
                              किसी की याद को झुठला देने से....
                              खतों को जला देने से 
                              उनसे निजात पाना 
                              और भी मुश्किल हो जाता है...!
                              फिर उसके लिए 
                              और भी मुश्किल होता है.....
                              जिसके लिए ये यादें ही 
                              जिंदगी बन गयी हों...!





12 टिप्‍पणियां:

  1. खत जलाने से कागज़ जलता है...एहसास थोड़ी न...वो तो और भी दहक उठते हैं.

    अनु

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  2. कोशिश भूलने की करो,कभी याद न आय
    जितनी कोशिश करोगे,यादें बढती जाय ,,,,,

    बहुत सुंदर प्रस्तुति,,,,,
    स्वतंत्रता दिवस बहुत२ बधाई,एवं शुभकामनाए,,,,,
    RECENT POST ...: पांच सौ के नोट में.....


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  3. वाह बहुत खूबसूरत अहसास हर लफ्ज़ में आपने भावों की बहुत गहरी अभिव्यक्ति देने का प्रयास किया है... बधाई आपको... सादर वन्दे...

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  4. मन से निकालना आसान नहीं ... शरीर को तो काट के नहीं फैंक सकते ... काश वो भी खत होते ...

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  5. बहुत सही कहा है..यादें तो दिल का हिस्सा बन चुकी होती हैं..फिर भी समय बड़ा बलवान है

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  6. यादें ज़िंदगी हों तो कैसे भुलाया जाए... भावपूर्ण रचना, बधाई.

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  7. बिलकुल सच कहा है दी ।

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  8. किसी की यादों का अस्तित्व
    किसी की दिल पर गहरी छाप
    किसी को दे डाला विश्वास
    कहीं पूरे कर लें अरमान
    किसी की चौखट पर अरमान लुटाने का दिल करता है !

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  9. किसी की यादों का अस्तित्व
    किसी की दिल पर गहरी छाप
    किसी को दे डाला विश्वास
    कहीं पूरे कर लें अरमान

    बहुत सुदर लिखा है आपने। मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है। धन्यवाद।

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