गुरुवार, 22 दिसंबर 2011

बस मैं हूँ और.....





अजनबी है कोई फिर भी वो अपना लगता है ! 
उससे न जाने कौन सा,कैसा रिश्ता लगता है !!

 दूर रह कर भी कोई आस-पास लगता है  !
मुझमें ही रहते हुए मुझसे जुदा लगता है !!

चलते-चलते मेरे कानों में कुछ कह जाता है !
सोते - सोते मुझे चुपके से जगा  जाता   है !!

हँसते - हँसते मेरी आँखों में वो बस जाता   है !
दिल में धड़कन की तरह छुप के उतर जाता है !!

मैं हूँ, बस मैं हूँ, कोई साथ नहीं है मेरे !
मेरी  तन्हाई  है, एहसास   हैं हमदम मेरे !!

15 टिप्‍पणियां:

  1. मैं हूँ, बस मैं हूँ, कोई साथ नहीं है मेरे !
    मेरी तन्हाई है, एहसास हैं हमदम मेरे !!

    sundar...

    www.poeticprakash.com

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  2. आपकी कविता पढ़कर एक फ़िल्मी गाना याद आ गया.गाना है:-
    जब भी ये दिल उदास होता है.
    जाने कौन आस पास होता है.

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  3. बहुत खूबसूरत अशआर |

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  4. बहुत सुन्दर, बधाई.

    पधारें मेरे ब्लॉग पर भी, आभारी होऊंगा.

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  5. हँसते - हँसते मेरी आँखों में वो बस जाता है !
    दिल में धड़कन की तरह छुप के उतर जाता है !!

    वाह!

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  6. चलते-चलते मेरे कानों में कुछ कह जाता है !
    सोते - सोते मुझे चुपके से जगा जाता है !!

    हँसते - हँसते मेरी आँखों में वो बस जाता है !
    दिल में धड़कन की तरह छुप के उतर जाता है !!

    वाह क्या इकरार है पूनम जी बहुत खूब !

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  7. मैं हूँ, बस मैं हूँ, कोई साथ नहीं है मेरे !
    मेरी तन्हाई है, एहसास हैं हमदम मेरे !!
    ...
    एक अटल सच्चाई है ...जो खुद के साथ नहीं वो किसी और के साथ क्या होगा.
    बहुत सुंदर भाव पूनम जी.

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  8. मैं हूँ, बस मैं हूँ, कोई साथ नहीं है मेरे !
    मेरी तन्हाई है, एहसास हैं हमदम मेरे !!
    वह बेहतरीन ......कविता ....

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  9. मैं हूँ, बस मैं हूँ, कोई साथ नहीं है मेरे !
    मेरी तन्हाई है, एहसास हैं हमदम मेरे !!

    बहुत उम्दा लिखा हैं आपने ..
    परिचय करवाने के लिए आपका आभार

    आपका मेरे ब्लॉग पर हार्दिक अभिनन्दन
    प्लीज़ join my blog

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  10. ये तन्हाइयों के एहसास ही अपने लगाने लगते हैं

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