ऐतबार गर करते हो तो,शर्त लगाते क्यूँ हो..
प्यार करते हो तो,बेतरतीबी से जताते क्यूँ हो !
अपने ही प्यार के लिए माँगी थी कभी मोहलत हमसे
आज दिन है कि गैरों के आगे दामन फैलाते क्यूँ हो !!
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अगर वो गैर न थे तो इतने दिनों तक रहे कहाँ ?
जब भी आयीं मुश्किलात तो उनके भी आंसू थे कहाँ ?
जिन्दगी की मुश्किलों से जब हमने निकाल ली कश्ती...
आज किनारों पे बैठ हैं वो,फिर--हम कहाँ ? तुम कहाँ ?
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जिस्म मिल जाने से ही दिल नहीं मिलते,ऐ दोस्त !
जिस्म को छोड़ कभी दिल भी मिलाया होता...!!
आज गर खोल दिया दिल को *वरक़ की मानिंद तूने
**वरके-खाम पे अपने भी कभी गौर किया होता !!
तू क्या समझेगा मुझे,खुद को समझ पाया है क्या ?
मुझको एक ***मौजूं बना ग़ज़ल में ढाला होता !!
* पन्ना
**अंदरुनी हालात
***शेर
**अंदरुनी हालात
***शेर
बहुत सुंदर कोमल भावनाओं की भावाव्यक्ति बधाई
जवाब देंहटाएंnice very nice
जवाब देंहटाएंshaq shubaah rakhte ho
baat mohabbat kee karte ho
kyon zamaane kaa dastoor
nibhaate ho
सुभानाल्ह.......बेहतरीन अशआर है.......तसवीर भी बहुत अच्छी लगी मैंने ले ली है कभी अपनी किसी पोस्ट में लगाने के लिए|
जवाब देंहटाएंसभी शेर
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत और असरदार हैं
मुबारकबाद .
waah kya baat kahi hai. aakhir ka sher jabardast hai.
जवाब देंहटाएंतू क्या समझेगा मुझे,खुद को समझ पाया है क्या ?
जवाब देंहटाएंमुझको एक ***मौजूं बना ग़ज़ल में ढाला होता !!
आपकी प्रस्तुति हर बार ही कुछ न कुछ कमाल का कर देती है.
इस बार भी मेरे दिल को चुरा लिया है इसने.
मेरे ब्लॉग पर आईयेगा,पूनम जी.
वाह,क्या बात है.
जवाब देंहटाएंवाह क्या बात है दोस्त बहुत सुन्दर |
जवाब देंहटाएंपूनम , बहुत ही सुन्दर नज़्म...दूसरा अंतरा तो जबर्दश्त रहा .. मन में कहीं जाकर ठहर गया जी ...
जवाब देंहटाएंबधाई !!
आभार
विजय
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कृपया मेरी नयी कविता " कल,आज और कल " को पढकर अपनी बहुमूल्य राय दिजियेंगा . लिंक है : http://poemsofvijay.blogspot.com/2011/11/blog-post_30.html
पूनम जी !आप के सभी शेर
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत और शानदार है.......मेरी नई पोस्ट 'यादें' मेंआप का स्वागत है..
"जिस्म को छोड़ कभी दिल भी मिलाया होता...!!"
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर !
बेहतरीन! लाजवाब!!
जवाब देंहटाएंbahut khoobsurat...
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंsushila ने आपकी पोस्ट " अशआर कुछ ऐसे भी...... " पर एक टिप्पणी छोड़ी है:
जवाब देंहटाएं"जिस्म को छोड़ कभी दिल भी मिलाया होता...!!"
बहुत सुंदर !
अच्छी प्रस्तुति मुश्किल अल्फाजों के अर्थ दिए हैं अच्छा किया है .सभी अश -आर खूबसूरत .
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