कुछ अल्फाजों की कमी सी है !
उधार मिलें कुछ बीज तो...
मैं भी बो दूं
मन के सन्नाटे में !
उग आयेंगे कुछ
अनचाहे से अल्फाज़...
फिर गूंथ कर
उनको एक डोरी में,
बना लूंगी एक माला !
न सीधी सही...
टेढ़ी-मेढी ही सही...
कहीं काम तो आयेगी..
किसी तस्वीर पर चढ़ जायेगी,
किसी जूड़े में लग जायेगी
या फिर...
टांग दूंगी खूंटी पर
अपने ही कमरे में !!
यूँ पड़ी रहेगी तो...
कम से कम
कमरे को ही महकाएगी !!
दो शब्दों से गूँथ जाएगी माला
जवाब देंहटाएंसुन्दर !
sundar
जवाब देंहटाएंकुछ अल्फाजों की कमी सी है !
उधार मिलें कुछ बीज तो...
मैं भी बो दूं
alfaazon kee kamee kyaa nahee kartee
उनके
अप्रतिम सौन्दर्य से
अभिभूत था
उनसे मिलने से पहले
मन में
सैकड़ों सपने संजोता
क्या क्या कहना है
मष्तिष्क में
सूची बनाता
मिलने पर जुबान को
लकवा मार जाता
मुंह से एक शब्द नहीं
निकलता
उनका निश्छल सरल
व्यवहार
निरंतर मेरे उनके
बीच में आता
मन का मनोरथ
मन में रहता
प्यार ह्रदय में दबा
रहता
मुझे एक शब्द भी
कहने ना देता
केवल मेरा मौन मेरा
साथ देता
12-11-2011
1785-56-11-11
खूबसूरत सोच ..अच्छी प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत- बहुत आभार आपके स्नेह और समर्थन का.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना , बधाई.
.
बहुत सुन्दर भावनाओं का पुष्प ....
जवाब देंहटाएंसुन्दर भावनायों की माला.
जवाब देंहटाएंशब्दों की माला बहुत सुंदर बिम्ब लिए है आपने, बधाई.........
जवाब देंहटाएंAnchaahe alfaaz kaha mahkaate hain .... Ye to udaasi aur bada dete hain ....
जवाब देंहटाएंin alfaazo me bahut takat hoti hai..........
जवाब देंहटाएंnya hu is blog ki duniya me
fursat mile to kabhi is nachiz ki blog par bhi tashrif layega.......
ye raha pata...
www.kashikenjare.blogspot.com
यूँ पड़ी रहेगी तो...
जवाब देंहटाएंकम से कम
कमरे को ही महकाएगी !!
सही है पूनम जी अल्फाज़ कही न कही असर तो ज़रूर करेंगे|
आपके पास अल्फाज़ तो हैं तभी तो इतनी अच्छी कविता लिखी आपने.
जवाब देंहटाएंमन के सन्नाटे में !
जवाब देंहटाएंउग आयेंगे कुछ
अनचाहे से अल्फाज़...
......
यूँ पड़ी रहेगी तो...
कम से कम
कमरे को ही महकाएगी !!
हर जगह अनचाहे अलफ़ाज़ ही हैं ...गूंजते हैं कानो में अहिर्निशी .... वैसे पूनम जी माला सूख ना जये जाये इसका भी कुछ प्रबंध करना ही पड़ेगा ...
सुंदर रचना मन के या यों कहें कि प्रेम के मनोविज्ञान पर गहरी पकड़ है आपकी !