शुक्रवार, 18 नवंबर 2011

तौबा.....

 
बीता दी उम्र हमने जिनके लिए ,
वो न खुश हुए हमारी उल्फत से !
खुदा करे  मेहरबानियाँ  हम पे अपनी,
बाज़  आये हम जमाने भर की मोहब्बत से...!!
 

13 टिप्‍पणियां:

  1. itnaa hataash naa ho
    kadrdaanon ko kadrdaan
    milte hein
    mohabbat karne waalon ke
    dil ke darwaaze band nahee hote

    bahut achhaa ,
    kshamaa keejiye
    rok nahee paayaa
    aap kaa honslaa badhaane ke liye
    bas likh daalaa

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  2. मुहब्बत से ही तौबा कर लीजिए ..बहुत खूब लिखा है

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  3. एक मुहब्बत की वजह से ज़माने भर की मुहब्बत से तौबा ?
    अच्छी बात... सुन्दर प्रस्तुति !
    मेरी नई पोस्ट के लिए आये आपका स्वागत है !

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  4. बाज़ आये हम जमाने भर की मोहब्बत से...!!
    :)
    ये ठीक है !

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  5. सच ऐ ऐसी मोहब्बत से तौबा ही भली ...

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  6. पूनम जी
    सस्नेहाभिवादन !

    ऐसे तो मुहब्बत से बाज़ नहीं आना चाहिए …
    एक रास्ता बंद हो तो नया बनाना चाहिए …

    जवाबी तुकबंदी सही है या ग़लत … नहीं मा'लूम !


    मंगलकामनाओं सहित…
    - राजेन्द्र स्वर्णकार

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  7. आपने जवाब दिया मेरे लिए वो महत्त्वपूर्ण है...
    न कि ये देखना कि तुकबंदी सही है या गलत..!!
    और आप जैसे स्वर्णकार की कारीगरी में मैं कोई त्रुटि देखूँ....
    सपने में भी नहीं......!!
    यहाँ पधारने का धन्यवाद......!!

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