नाम जब भी तेरा लिया मैंने..
खुद से बदला सा इक लिया मैंने..
कोशिशें की न भूल पाई पर
खुद को नाहक़ थक़ा लिया मैंने...
अब मुहब्बत की क़ैद में हूँ मैं
खुद को आज़ाद कर लिया मैंने...
ज़िंदगी शाद हो गई गोया
तुझको खुद में छिपा लिया मैंने...
यूँ तो बदनाम है तेरी 'पूनम'
पर मज़ा इस में भी लिया मैंने...
***पूनम***
यूँ तो बदनाम है तेरी'पूनम'
जवाब देंहटाएंपर मज़ा इस में भी लिया मैंने...
वाह वाह !!! बहुत ही सुंदर गजल ,,,
RECENT POST : समझ में आया बापू .
अब मुहब्बत की क़ैद में हूँ मैं
जवाब देंहटाएंखुद को आज़ाद कर लिया मैंने...
बहुत खूब ... मुहब्बत की कैद में आ जाने के बाद आज़ादी मिल जाती है सब को ...
अच्छा ख्याल है ...
bahut khoob
जवाब देंहटाएंआपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल मंगलवार १० /९ /१३ को राजेश कुमारी द्वारा चर्चा मंच पर की जायेगी आपका वहाँ हार्दिक स्वागत है ।
जवाब देंहटाएंवाह बहुत खूब
जवाब देंहटाएंयूँ तो बदनाम है तेरी 'पूनम'
जवाब देंहटाएंपर मज़ा इस में भी लिया मैंने...बहुत सुंदर गजल
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बहुत खूब !
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति। ।
जवाब देंहटाएंshandar prastuti.
जवाब देंहटाएंयूँ तो बदनाम है तेरी 'पूनम'
जवाब देंहटाएंपर मज़ा इस में भी लिया मैंने..
बेबाक बयानी दिल को छूती