नज़र की ख्वाहिश का दिल बीमार था रोता रहा..
रात भर आँखों से .... तेरा इंतजार होता रहा..!!
चाँद कब से सो रहा था बादलों की ओट में..
आँख मेरी
नम हुई जब साथ वो रोता रहा..!!
बज़्म मेरी थी मगर था जिक्र तेरा हर तरफ..
थे बहुत बीमार....तेरा फिक्र ही होता रहा..!!
याद के झोंकों ने जब भी कर दिया गाफिल हमें..
आसमां का इक सितारा साथ में रोता रहा..!!
अब फलक से लौट के आवाज़ भी आती नहीं..
कौन है बेबस मेरी आवाज़ पे सोता रहा..!!
थीं तो यूँ बातें बहुत 'पूनम' बताने के लिए..
रात भर बस एक तेरा जिक्र ही होता रहा..!!
बहुत खूब दी शानदार ग़ज़ल तीसरे शेर का काफ़िया थोडा बहक गया :-)
जवाब देंहटाएंबहुत ख़ूबसूरत ग़ज़ल...
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर लाजबाब गजल !
जवाब देंहटाएंनई रचना : सुधि नहि आवत.( विरह गीत )
वाह ! सुभानअल्लाह..
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर ग़ज़ल!
जवाब देंहटाएंनई पोस्ट साधू या शैतान
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bhawon ke moti ....ati sundar ...
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