गुज़र रही है मेरी उम्र इन ख्यालों में....
तू इन ख्यालों में न होता तो तू कहाँ होता....!!
मेरी तो शाम गुजरती है तेरी यादों में...
तू हकीकत में भी कुछ देर तो रुका होता...!!
तेरी फुरकत में बड़ी देर से उदास हूँ मैं...
जुदाई में मेरे हमदम तू भी रोया होता...!!
चलते चलते ये मेरी सांसें भी रुक जाती हैं...
तेरा ख्याल मेरे साथ साथ जब होता...!!
वाह पूनम जी....
जवाब देंहटाएंमेरी तो शाम गुजरती है तेरी यादों में...
तू हकीकत में भी कुछ देर तो रुका होता...!!
इस शेर के लिए ख़ास दाद...
वैसे पूरी ग़ज़ल ही अच्छी है.
अनु
वाह !!! वाह पूनम जी,,,बहुत उम्दा गजल ,,,
जवाब देंहटाएंRecent post : होली की हुडदंग कमेंट्स के संग
मेरी तो शाम गुजरती है तेरी यादों में...
जवाब देंहटाएंतू हकीकत में भी कुछ देर तो रुका होता...----
वाह बहुत सुंदर
आग्रह है मेरे ब्लॉग में भी सम्मलित हों
उम्दा...
जवाब देंहटाएंउम्दा शेरों से सजी खुबसूरत ग़ज़ल।
जवाब देंहटाएंमेरी तो शाम गुजरती है तेरी यादों में...
जवाब देंहटाएंतू हकीकत में भी कुछ देर तो रुका होता...!!
....वाह! बहुत ख़ूबसूरत ग़ज़ल..
वाह .. उम्दा शेर ... दिल की गहराइयों का आभास दे रहे हैं ...
जवाब देंहटाएंबहुत ख़ूबसूरत ग़ज़ल
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