रविवार, 31 मार्च 2013

बस यूँ ही.....






सब जान कर भी मुझसे...अनजान बन रहा है...
वो कुछ छुपा रहा है...मेरे साथ चलते चलते...!!

कुछ कहते कहते ही वो...खामोश हो गया था...
नज़रें वो पढ़ रहा था...मेरे साथ चलते चलते...!!

कुछ फासले हुए थे......कुछ रंजिशें बढ़ी थी...
फिर वो संभल गया है...कुछ चाल चलते चलते...!!

एक बात मैंने पूछी....वो जवाब दे न पाया...
फिर भी वो कह गया कुछ...मेरे साथ चलते चलते...!!

कुछ राज़ की हैं बातें...कुछ आम सी हैं बातें...
मेरे काम की हैं बातें...सरे राह चलते चलते....!! 


बस अभी अभी...
३१/०३/२०१३



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