नज़रों को झुका कर उसने
आँचल को दांतों से जब दबाया...
आँखों में एक शोखी सी उभरी...
मानो काली रात में
पूरा चाँद नज़र आया..!
जो तीर चले उसकी नज़रों से...
घायल हुए हैं दिल बेचारे...
प्यार किसे कहते हैं जानां...
हम कहते हैं....
हम दिल हारे.....!!!
अभी अभी.....
हम कहते हैं....
जवाब देंहटाएंहम दिल हारे...
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दिलकश ...
superb.
जवाब देंहटाएंघायल हुए हैं दिल बेचारे...
जवाब देंहटाएंप्यार किसे कहते हैं जानां...
हम कहते हैं....
हम दिल हारे.....!!!बहुत सुंदर रचना !!!
RECENT POST: जुल्म
आज की ब्लॉग बुलेटिन दिल दा मामला है - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंशुक्रिया यशोदा....
जवाब देंहटाएंदिल हारे????
जवाब देंहटाएंया जीत लिया दिल किसी का :-)
अनु
ओर डच कहो तो प्यार भी लसे ही कहे हैं ...
जवाब देंहटाएंदिल हार के भी जीत लेना दुनिया को ...
जवाब देंहटाएंप्रेम में हारना जितना एक सामान है ,हम हारे या दिल हारे
बहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएंआँचल को दांतों से जब दबाया...इन पंक्तियों का कोई जबाब नहीं ..पढता तो मैं आगे भी गया पर मन यहीं रुक गया ..शानदार
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंक्या बात
अच्छी रचना
नव संवत्सर की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ!!
जवाब देंहटाएंघायल हुए हैं दिल बेचारे...
जवाब देंहटाएंप्यार किसे कहते हैं जानां..
.सुन्दर रचना
सुंदर भावपूर्ण रचना.
जवाब देंहटाएंनवरात्रों की बहुत बहुत शुभकामनाये
जवाब देंहटाएंआपके ब्लाग पर बहुत दिनों के बाद आने के लिए माफ़ी चाहता हूँ
बहुत खूब बेह्तरीन अभिव्यक्ति!शुभकामनायें
आज की मेरी नई रचना आपके विचारो के इंतजार में
मेरी मांग