बहुत दिनों से मुझे इंतज़ार था जिसका
मेरे जीवन की वही वस्ल-ए-बहार हो तुम !
मेरे लबों पे आ के ठहर गयी जो अब तक
वही हंसी हो ,वहीँ नज़्म और ख्याल हो तुम !
यूँ मेरी जिंदगी पहले भी रही शाइस्ता
शाइस्त-ए-कलाम हो,मेरे अल्फाज़ हो तुम !
मैं दुनिया में रहूँ....या दूर रहूँ दुनिया से
अलहदा रह के भी इस तरह मेरे पास हो तुम !
न जाने क्या हुआ,और क्यूँ हुआ,मैं क्या जानूँ
मेरी नज़र में, मेरे दिल में, मेरे पास हो तुम !
तुम मुझसे दूर रहो....मैं रहूँ जुदा तुमसे
बेकरारी में दे करार...वो बहार हो तुम....!
हैप्पी वेलेंटाइन.....
आपको....
आपको.....
आप सभी को......
बहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंक्या कहने
बहुत भाव पूर्ण गज़ल
जवाब देंहटाएंआपको भी...
जवाब देंहटाएंमुक़म्मल ग़ज़ल.......बहुत खूब......आपको भी बहुत मुबारकें जी ।
जवाब देंहटाएंन जाने क्या हुआ,और क्यूँ हुआ,मैं क्या जानूँ
जवाब देंहटाएंमेरी नज़र में, मेरे दिल में, मेरे पास हो तुम ..
जब प्रेम की खनखनाहट जागती है ... अपने आप ही कुछ हो जाता है ...
Waah..behtareen
जवाब देंहटाएंवाह बहुत खूब
जवाब देंहटाएंबहुत खूब.....सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंवेलेंटाइन डे कब था पूनम जी ? :)
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