रविवार, 4 नवंबर 2012

तो क्या कीजे......???




मर्ज़ जब हद से गुजर जाये तो क्या कीजे...
दवा  बेकार हो जाये तो क्या कीजे....!!

कभी देखा था प्यार से उसने हमको भी 
अब नज़र और कहीं जाये तो क्या कीजे !!

बात  का तो कोई  भी मतलब  न  था मेरी....
अपनी ही बात से मुकर जाये वो तो क्या कीजे !!

मैं चली थी तो साथ साथ उसके मंजिल को 
वो मुड़ा गया कहीं बीच रास्ते तो क्या कीजे !!

उम्र भर साथ किसी का हो ज़रूरी तो नहीं
बस एक अपना ही हो साथ तो क्या कीजे !!

मैंने उसको कभी कुछ भी न कहा था लेकिन ....
उसको मुझसे हैं फिर भी मलाल तो क्या कीजे !!





17 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर शव्दों से सजी है आपकी गजल ,उम्दा पंक्तियाँ .
    बहुत खूब,बेह्तरीन अभिव्यक्ति .आपका ब्लॉग देखा मैने और नमन है आपको और बहुत ही सुन्दर शब्दों से सजाया गया है लिखते रहिये और कुछ अपने विचारो से हमें भी अवगत करवाते रहिये

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  2. बेहद सुन्दर रचना बधाई स्वीकारें

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  3. बहुत लाजबाब गजल,,,,,बधाई पूनम जी,,,,

    कहूँ कुछ उनसे,मगर यह ख्याल होता है,
    शिकायतों का नतीजा ही मलाल होता है,,,,,,

    RECENT POST : समय की पुकार है,

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  4. उम्र भर साथ किसी का हो ज़रूरी तो नहीं
    बस एक अपना ही हो साथ तो क्या कीजे !!


    कर तो कुछ भी नहीं सकते .... बस मलाल ही कर सकते हैं ... उम्दा गज़ल

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  5. वाह वाह.....बहुत ही खुबसूरत लगी ग़ज़ल दी ।

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  6. वाह...
    बहुत बढ़िया गज़ल पूनम जी...

    अनु

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  7. मैंने उसको कभी कुछ भी न कहा था लेकिन ....
    उसको मुझसे हैं फिर भी मलाल तो क्या कीजे !!bahut badhiya ...poonam jee..




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  8. आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल मंगल वार 6/11/12 को चर्चाकारा राजेश कुमारी द्वारा चर्चा मंच पर की जायेगी आपका स्वागत है ।

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  9. कभी देखा था प्यार से उसने हमको भी
    अब नज़र और कहीं जाये तो क्या कीजे !!...
    वाह वाह ... बहुत सुन्दर पंक्तियाँ साँझा करने के लिए बहुत बहुत आभार पूनम जी.

    मेरी नई पोस्ट पर आपका स्वागत हैं ...
    http://rohitasghorela.blogspot.in/2012/11/blog-post_6.html

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  10. वाह ! बहुत खूबसूरत ! दिल को छू लिया !
    'जब रहबर ही बने दुश्मन...तो फिर क्या कीजे...'
    ~सादर !

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  11. वो भूले हैं आपको, आप कर रहे याद।
    पत्थर से करना नहीं, कोई भी फरियाद।।

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