देखते हैं वो ख्वाब....फिर भी यकीं नहीं होता
सोते और जागते....ख्वाबों से वो घबराते हैं...!
हम उनको कैसे इस बात का दिलायें यकीं
हम अगर जिंदा रहेंगे तो...ख्वाब आते हैं...!
न उन्हें खुद पे यकीं...न ही अपने ख्वाबों पे
पूरे न होंगे ख्वाब......आप जो घबराते हैं !
ख्वाबों पे भी कभी 'पूनम' किसी का बस है चला
बंद हो या हो खुली आँख.....ये आ ही जाते हैं...!!
बस अभी अभी...
***पूनम सिन्हा***
bahut hi sundar post hai..
जवाब देंहटाएंहम उनको कैसे इस बात का दिलायें यकीं
हम अगर जिंदा रहेंगे तो...ख्वाब आते हैं...!
http://rohitasghorela.blogspot.com/2012/10/blog-post_17.html
ख्वाब तो ख्वाब है आँखें बंद हों या खुली; आते ही हैं. बहुत सुन्दर रचना, बधाई.
जवाब देंहटाएंआपके पोस्ट पर आना बहुत ही अच्छा लगा। कविता भी अच्छी लगी। मुझे अभिप्रेरित करने के लिए आपका मेरे नए पोस्ट पर स्वागत है। धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत रचना
जवाब देंहटाएंसही कहा विज्ञानं भी यही कहता है :-)
जवाब देंहटाएंबधाई अच्छी रचना के लिए !
जवाब देंहटाएंख्वाबों पे भी कभी 'पूनम' किसी का बस है चला
जवाब देंहटाएंबंद हो या हो खुली आँख.....ये आ ही जाते हैं...!!
ख्वाब तो बस ख्वाब हैं बहुत सुंदर और भावपूर्ण प्रस्तुति.