बुधवार, 11 अप्रैल 2012

मुझे पता है......





मुझे पता है
कि तुम क्या सोचते हो 
मेरे बारे में....!
मेरा तुमसे 
बेतकल्लुफ हो कर बात करना,
वो ज़रा-ज़रा सी बात पर
मेरा हँसना,खिलखिलाना,
तुम्हें चिढ़ाना और बेवजह ही
तुम पर गुस्सा करना..!
और तुम......
सब सुन कर भी 
कुछ नहीं कहते मुझे !
मुझे पता है.....
कि तुम मेरे बारे में 
क्या सोचते हो..
और मैं.....
बस इतना जानती हूँ
कि.....
तुम्हारे साथ उतनी देर के लिए
मैं  "मैं" होती हूँ
बस "मैं".......!!!

31 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत खुबसूरत कोमल अहसास और सुंदर शब्द संयोजन

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  2. और तुम......
    सब सुन कर भी
    कुछ नहीं कहते मुझे !
    मुझे पता है.....
    कि तुम मेरे बारे में
    क्या सोचते हो..
    wah poonam ji bhawnaon ka sokshm prastuti .....bahut hi sundar rachana.

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  3. हां!!वो सोचते हैं.....
    जी लेने दो इसको कुछ लम्हे....."मैं" बन कर......
    फिर तो इसको छुपा ही लेना है खुद को, बनावटी एक खोल में...

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  4. कोमल अहसास लिये सुन्दर भावमयी प्रस्तुति...

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  5. तुम्हारे साथ उतनी देर के लिए
    मैं "मैं" होती हूँ
    बस "मैं".......!!!
    बेहतरीन भाव पुर्ण रचना,बहुत सुंदर कोमल अभिव्यक्ति,लाजबाब प्रस्तुति,....


    RECENT POST...फुहार....: रूप तुम्हारा...

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  6. प्रेम है तो आडम्बर नहीं...
    सुंदर रचना ...

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  7. तुम्हारे साथ उतनी देर के लिए
    मैं "मैं" होती हूँ
    बस "मैं".......!!! bas kuch panktiya bhaut kuch kah gayi hai.....

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  8. बस इतना जानती हूँ
    कि.....
    तुम्हारे साथ उतनी देर के लिए
    मैं "मैं" होती हूँ
    बस "मैं".......!!!
    और बस यही "मैं" है उनकी चाहत... बहुत खूबसूरत अहसास...

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  9. सुकोमल और मधुर एहसास की रचना

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  10. सकारात्मक भाव लिये सुंदर कविता पूनम जी बहुत आभार इस प्रस्तुति के लिये.

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  11. अपनी निजता को एक पहचान देती प्यारी सी कविता...

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  12. bilkul sateek ke sath hi poorn sakaratmkata liiye hye achhi rachana ..badhai ke sath abhar bhi

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  13. जिंदगी उस दम ही लगी सबसे भली ...
    जब उससे मैं मैं बनकर ही मिली !

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  14. जीवन में ऐसा साथी बहुत नसीब से मिलता है .....पुनामजी जहाँ आप कह सकें ...
    I love myself for what you have made me .....!!!!

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  15. बहुत ही खुबसूरत लगी पोस्ट....शानदार।

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  16. वह जो कहा नहीं गया वही कविता की जान है......बढ़िया पूनम जी.

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  17. मैं का मैं से मेल हुआ
    जब जब तुम थे साथ
    सहराऊँ मैं भाग को
    शुभ - रेखायें हाथ.

    भावपूर्ण रचना.अति सुंदर....

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  18. " मै " से प्रिय हम है ! सुन्दर कविता !

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  19. मैं बन कर मिलना कितना सुखकर होता है ... सुंदर प्रस्तुति

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  20. और मैं.....
    बस इतना जानती हूँ
    कि.....
    तुम्हारे साथ उतनी देर के लिए
    मैं "मैं" होती हूँ
    बस "मैं".......!!!
    ...
    बहुत सुंदर भाव ....जिस दिन ये मैं भी नहीं रहेगा ..उस दिन का इंतज़ार रहेगा !!

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  21. सन्देश स्पष्ट है ....
    शुभकामनायें !

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  22. और मैं.....
    बस इतना जानती हूँ
    कि.....
    तुम्हारे साथ उतनी देर के लिए
    मैं मैं होती हूँ
    बस मैं.......!!!

    नपे-तुले शब्दों में ‘मैं‘ की बात बहुत अच्छी लगी।

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  23. बिना कहे बिना सोचे बातें करने के लिए जो जगह मिले उसमे बिना बंधन के बातें करने का आनंद ही कुछ और है
    बिना बताये समझ भी जाएँ तो क्या बात हो...

    शीघ्र अपने देश लौटने वाला हूँ....
    व्यस्तता के कारण इतने दिनों ब्लॉग से दूर रहा.
    नयी रचना समर्पित करता हूँ. उम्मीद है पुनः स्नेह से पूरित करेंगे.
    राजेश नचिकेता.
    http://swarnakshar.blogspot.ca/

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