मुझे पता है
कि तुम क्या सोचते हो
मेरे बारे में....!
मेरा तुमसे
बेतकल्लुफ हो कर बात करना,
वो ज़रा-ज़रा सी बात पर
मेरा हँसना,खिलखिलाना,
तुम्हें चिढ़ाना और बेवजह ही
तुम पर गुस्सा करना..!
और तुम......
सब सुन कर भी
कुछ नहीं कहते मुझे !
मुझे पता है.....
कि तुम मेरे बारे में
क्या सोचते हो..
और मैं.....
बस इतना जानती हूँ
कि.....
तुम्हारे साथ उतनी देर के लिए
मैं "मैं" होती हूँ
बस "मैं".......!!!
बहुत खुबसूरत कोमल अहसास और सुंदर शब्द संयोजन
जवाब देंहटाएंऔर तुम......
जवाब देंहटाएंसब सुन कर भी
कुछ नहीं कहते मुझे !
मुझे पता है.....
कि तुम मेरे बारे में
क्या सोचते हो..
wah poonam ji bhawnaon ka sokshm prastuti .....bahut hi sundar rachana.
हां!!वो सोचते हैं.....
जवाब देंहटाएंजी लेने दो इसको कुछ लम्हे....."मैं" बन कर......
फिर तो इसको छुपा ही लेना है खुद को, बनावटी एक खोल में...
कोमल अहसास लिये सुन्दर भावमयी प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंतुम्हारे साथ उतनी देर के लिए
जवाब देंहटाएंमैं "मैं" होती हूँ
बस "मैं".......!!!
बेहतरीन भाव पुर्ण रचना,बहुत सुंदर कोमल अभिव्यक्ति,लाजबाब प्रस्तुति,....
RECENT POST...फुहार....: रूप तुम्हारा...
बेहतरीन कविता
जवाब देंहटाएंसादर
प्रेम है तो आडम्बर नहीं...
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना ...
BEHAD KHOOBSURAT BHAVMAYEE RACHNA..
जवाब देंहटाएंachchi kavita hai
जवाब देंहटाएंतुम्हारे साथ उतनी देर के लिए
जवाब देंहटाएंमैं "मैं" होती हूँ
बस "मैं".......!!! bas kuch panktiya bhaut kuch kah gayi hai.....
बस इतना जानती हूँ
जवाब देंहटाएंकि.....
तुम्हारे साथ उतनी देर के लिए
मैं "मैं" होती हूँ
बस "मैं".......!!!
और बस यही "मैं" है उनकी चाहत... बहुत खूबसूरत अहसास...
सुकोमल और मधुर एहसास की रचना
जवाब देंहटाएंउम्दा !!
जवाब देंहटाएंसकारात्मक भाव लिये सुंदर कविता पूनम जी बहुत आभार इस प्रस्तुति के लिये.
जवाब देंहटाएंअपनी निजता को एक पहचान देती प्यारी सी कविता...
जवाब देंहटाएंbilkul sateek ke sath hi poorn sakaratmkata liiye hye achhi rachana ..badhai ke sath abhar bhi
जवाब देंहटाएंजिंदगी उस दम ही लगी सबसे भली ...
जवाब देंहटाएंजब उससे मैं मैं बनकर ही मिली !
sundar komal ehsaas ki bhavabhivyakti.
जवाब देंहटाएंजीवन में ऐसा साथी बहुत नसीब से मिलता है .....पुनामजी जहाँ आप कह सकें ...
जवाब देंहटाएंI love myself for what you have made me .....!!!!
बहुत ही खुबसूरत लगी पोस्ट....शानदार।
जवाब देंहटाएंवह जो कहा नहीं गया वही कविता की जान है......बढ़िया पूनम जी.
जवाब देंहटाएंApratim.. Anokhe aur sahaj ahsaso ki kavita..
जवाब देंहटाएंआप सभी का ह्रदय से आभार....!
जवाब देंहटाएंमैं का मैं से मेल हुआ
जवाब देंहटाएंजब जब तुम थे साथ
सहराऊँ मैं भाग को
शुभ - रेखायें हाथ.
भावपूर्ण रचना.अति सुंदर....
आभार !
जवाब देंहटाएं" मै " से प्रिय हम है ! सुन्दर कविता !
जवाब देंहटाएंमैं बन कर मिलना कितना सुखकर होता है ... सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंऔर मैं.....
जवाब देंहटाएंबस इतना जानती हूँ
कि.....
तुम्हारे साथ उतनी देर के लिए
मैं "मैं" होती हूँ
बस "मैं".......!!!
...
बहुत सुंदर भाव ....जिस दिन ये मैं भी नहीं रहेगा ..उस दिन का इंतज़ार रहेगा !!
सन्देश स्पष्ट है ....
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें !
और मैं.....
जवाब देंहटाएंबस इतना जानती हूँ
कि.....
तुम्हारे साथ उतनी देर के लिए
मैं मैं होती हूँ
बस मैं.......!!!
नपे-तुले शब्दों में ‘मैं‘ की बात बहुत अच्छी लगी।
बिना कहे बिना सोचे बातें करने के लिए जो जगह मिले उसमे बिना बंधन के बातें करने का आनंद ही कुछ और है
जवाब देंहटाएंबिना बताये समझ भी जाएँ तो क्या बात हो...
शीघ्र अपने देश लौटने वाला हूँ....
व्यस्तता के कारण इतने दिनों ब्लॉग से दूर रहा.
नयी रचना समर्पित करता हूँ. उम्मीद है पुनः स्नेह से पूरित करेंगे.
राजेश नचिकेता.
http://swarnakshar.blogspot.ca/