कहीं वो तुम तो नहीं.............???
एक चेहरा है जो हर चेहरे में मिल जाता है !
जब भी की आँखें बंद वो ही नज़र आता है !!
कभी शब्दों को बदल गीत वो बन जाता है !!
फिर वही गीत मेरे होठों पे बस जाता है !
बस के आँखों में मेरे दिल में उतर जाता है !
कभी बन फूल मेरी जुल्फों को महकता है !!
बन के मुस्कान मेरे चेहरे पे खिल जाता है !
सुनहरी धूप सा रौशन मुझे कर जाता है !!
न कोई नाम, न पहचान, न रिश्ता है कोई !!
फिर भी कुछ है मेरा,जो सबमें नज़र आता है !
मेरा सब कुछ है वो, हर वक़्त साथ है मेरे !!
एक चेहरा जो बस अपना सा लगता है मुझे !
मैं खोजती हूँ उसे अपनों में बेगानों में !!
वो जो छुपता है औ'फिर मुझमें ही मिल जाता है !!
मैं खोजती हूँ उसे अपनों में बेगानों में !!
जवाब देंहटाएंवो जो छुपता है औ'फिर मुझमें ही मिल जाता है !!
आपके पोस्ट पर आना सार्थक सिद्ध हुआ । जो दिल के किसी कोने में रच- बस जाता है । वह दिल के करीब ही रहता है । सघन भावें से भरी कविता का हर रूप मर्माहत कर गया । मेरे पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।
अक्सर हम खुद को ही दूसरों में ढूंढते हैं ....
जवाब देंहटाएंमेरा वो साया कहीं मैं खुद तो नहीं या कही मेरी कोई कल्पना तो नहीं !
मैं खोजती हूँ उसे अपनों में बेगानों में !!
जवाब देंहटाएंवो जो छुपता है औ'फिर मुझमें ही मिल जाता है !!
bahut khub kya bat hai mubarak ho .......
बहुत खूबसूरत ग़ज़ल....दिल को छू लेने वाली....वाह |
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग की नयी पोस्ट आपके ज़िक्र से रोशन है......जब भी फुर्सत मिले ज़रूर देखें|
बढ़िया प्रस्तुति ..
जवाब देंहटाएंहर शेर अर्थपूर्ण
khoobsurat gazel.
जवाब देंहटाएंdil ko khush rakhne k liye ye khayal bhi aachha hai gaalib.:)
बहुत सुन्दर रचना पूनम जी ! हर शब्द बोलता सा प्रतीत होती है और हर भाव आँचल की तरह लिपट कर आत्मीयता का अहसास देता है ! बहुत अच्छा लिखा है आपने ! बधाई एवं शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएंbehtarin..dilkash..har sher jaandar hai..badhayee aaur apne blog per amantran ke sath
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत ग़ज़..वाह ..वाह..
जवाब देंहटाएंवाह! बढ़िया...
जवाब देंहटाएंहर शेर सुन्दर...
सादर
खूबसूरत... दिल को छू लेने वाली भावभरी गजल।
जवाब देंहटाएंदशहरा पर्व की शुभकामनाएं....
न कोई नाम, न पहचान, न रिश्ता है कोई !!
जवाब देंहटाएंफिर भी कुछ है मेरा,जो सबमें नज़र आता है !
खूबसूरत !!
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किसे जलाये - रावण को या राम को ???
बहुत खूब..हर शेर उम्दा...मुबारकबाद.
जवाब देंहटाएंमैं खोजती हूँ उसे अपनों में बेगानों में !!
जवाब देंहटाएंवो जो छुपता है औ'फिर मुझमें ही मिल जाता है !!
सारे शेर बहुत उम्दा है. सुंदर प्रस्तुति.
न कोई नाम, न पहचान, न रिश्ता है कोई !!
जवाब देंहटाएंफिर भी कुछ है मेरा,जो सबमें नज़र आता है !
भावुक जजबातों की सुन्दर प्रस्तुति. शुभकामनायें.
www.belovedlife-santosh.blogspot.com
"वो जो छुपता है औ'फिर मुझमें ही मिल जाता है !!"
जवाब देंहटाएंitna apna ho jata hai??
bahut pyare se jajbaat:)
न कोई नाम, न पहचान, न रिश्ता है कोई !!
जवाब देंहटाएंफिर भी कुछ है मेरा,जो सबमें नज़र आता है !
खुबसूरत अभिव्यक्ति दी है आपने अपने विचारों को.
मैं खोजती हूँ उसे अपनों में बेगानों में !!
जवाब देंहटाएंवो जो छुपता है औ'फिर मुझमें ही मिल जाता है !!
WAH PUNAM JI BAHUT KHOOB.. KAFI BARIKI SE LIKHA H AAPNE.. BDHAI SWIKAAR KRE
न कोई नाम, न पहचान, न रिश्ता है कोई !!
जवाब देंहटाएंफिर भी कुछ है मेरा,जो सबमें नज़र आता है !
सुन्दर!