कुछ ख्यालात.......
याद आती है कोई मखमली आवाज़ मुझे,
दिल से महसूस हुई आज कोई बात मुझे !
मैं कैसे खुद को भुला दूं तेरे इन अश्कों में,
अब तो हर वक़्त यही बात सताती है मुझे !
तू मेरे सामने है फिर भी नज़र नहीं आता,
मूँद लूँ आँखें मैं अपनी ये ख़याल आये मुझे !
मेरा तुझसे जो नाता केवल एक दर्द का है,
क्यूँ मेरे दिल में उतर कर सताए जाए मुझे !
(कभी नेकी भी उसके जी में गर आ जाये है मुझसे
जफ़ाएं करके अपनी याद शर्मा जाये है मुझसे )
कोमल ख्यालातें!
जवाब देंहटाएंसुन्दर!
सुन्दर रचना के लिए बधाई स्वीकारें , आभार
जवाब देंहटाएंsundar khyaalaat, badhai.
जवाब देंहटाएंकुछ कशिश सी है रचना में जो दिल को छू जाती है.
जवाब देंहटाएंपूनम जी शानदार लफ़्ज़ों में बसी एक खूबसूरत ग़ज़ल..........और आखिर में ग़ालिब के शेर का तड़का.....वाह...
जवाब देंहटाएंऔर हाँ आप जो अपनी ग़ज़ल का शीर्षक देती हैं उसे ब्लॉग पोस्ट करते समय शीर्षक के स्थान पर लिखा करो.......तो उससे ब्लॉग की पोस्ट शीर्षक के लिंक के साथ दिखती है |
उम्दा प्रस्तुति... सादर बधाई...
जवाब देंहटाएंआह, आपकी कविता एक श्रध्दांजली महसूस हुई उस मखमली आवाज (जगजीत सिंग) को जो अब नही रही ।
जवाब देंहटाएंमैं कैसे खुद को भुला दूं तेरे इन अश्कों में,
जवाब देंहटाएंअब तो हर वक़्त यही बात सताती है मुझे !
sundar panktiyaan
बहुत सुन्दर प्रस्तुति, आभार
जवाब देंहटाएंreshmi.....mulayam.....khoobsurat....
जवाब देंहटाएंvaah.gazab likha hai.
जवाब देंहटाएंbehtarin
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति| आभार|
जवाब देंहटाएंbahut achi kavita,badhai!
जवाब देंहटाएं(कभी नेकी भी उसके जी में गर आ जाये है मुझसे
जवाब देंहटाएंजफ़ाएं करके अपनी याद शर्मा जाये है मुझसे
yah hai sher gajab vaah vaah ........
आपकी यह रचना प्रभावित करती है ....
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें आपको !
khoobsurat ehsaas, badhai.
जवाब देंहटाएंमेरा तुझसे जो नाता केवल एक दर्द का है,
जवाब देंहटाएंक्यूँ मेरे दिल में उतर कर सताए जाए मुझे
आपकी रचना मन को दोलायनान सी कर जाती है ।
धन्यवाद ।
बढ़िया ख़यालात को लेकर सुन्दर रचना..
जवाब देंहटाएंहार्दिक शुभकामनायें..
बहुत सुंदर प्रस्तुति ....
जवाब देंहटाएंदिल में उतर जाते हैं आपके ख्यालात ... बहुत लाजवाब ...
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