हमारा मोबाईल.......
मैंने बहुतों को देखा है...
जो अपना मोबाईल...
अपने से ऐसे
चिपका के रखते हैं...
जैसे दो शरीर एक जान हों...!
उन्हें देख कर मुझे
कुछ ऐसे ख़्याल आये....
मेरा मोबाईल...
रहता है हर समय
मेरे हाथ में.
क्यूंकि..
न जाने कब
निकल कर मेरे सामने
खड़े हो जाते हो तुम !
न जाने कब
मोबाईल से निकल कर
मेरा हाथ थाम कर
साथ-साथ चलने लगते हो तुम !
और न जाने कब
मोबाईल से निकल कर
एक प्यारा सा चुम्बन
गालों पे मेरे
चिपका जाते हो !
और न जाने कब
तुम आओगे
मोबाईल से निकल कर
मेरे पास और.....
मुझे बाहों में समेट कर
धीरे से कहोगे
मेरे कानों में
कि....
तुम्हें मुझसे प्यार है....!!
मन के भावों को बड़ी सहजता से कह दिया आपने ....आजकल सच में मोबाईल भावनाओं के साथ जुडाव का साधन बन गए हैं ....आपका आभार इस सार्थक रचना के लिए ..!
जवाब देंहटाएंमोबाईल के बहाने अपने मन के भावों को आपने बहुत ही सरलता से उडेल कर रख दिया।
जवाब देंहटाएं---------
हंसते रहो भाई, हंसाने वाला आ गया।
अब क्या दोगे प्यार की परिभाषा?
उफ़ आप को कैसे पता चला....
जवाब देंहटाएंपूनम जी यह लाखों दिलों की बात है...बल्कि जीने का सहारा है सच में अद्भुत अहसास है जो अपने लिखा है....
वाह क्या बात है ..मोबाईल और ये एहसास ..
जवाब देंहटाएंनए युग की नयी कविता का शुभारम्भ लगा.....बात सच है पर कई बार लगता है ये मोबाइल एक बीमारी भी बन गया है ......पर आपने उसके उस पहलु को छुआ है जो प्रेम का पूरक है |
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर, लेकिन अंतिम पंक्ति को थोडा ठीक करें!
जवाब देंहटाएंअरे वाह! मोबाइल भी प्यार करने का सुन्दर जरिया है.
जवाब देंहटाएंतुम आओगे
मोबाईल से निकल कर
मेरे पास और.....
मुझे बाहों में समेट कर
धीरे से कहोगे
मेरे कानों में
कि....
तुमनें मुझसे प्यार है....!!
'तुमने मुझ से प्यार है' की जगह यदि 'मुझको तुमसे प्यार है'
हो तो कैसा रहें.
कैसा ये मोबाईल का बहाना ले लिया तुमने ,जरा सा भी सोचा नहीं तुमने
जवाब देंहटाएंअगर मोबाईल की तरह प्यार करने लगे हम एक सिम से कहाँ काम चलता हे आज कल तो दो ,चार से कम सिम रखते नहीं कोई भी क्या जरा सा भी सोचा नहीं तुमने ......पर बहुत अच्छा हे मोबाइल के संग -२ प्यार .....
वाह, बहुत ही सुंदर अहसासों को दिखा दिया मोबाइल के नाम पर, बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएं- विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
"और न जाने कब
जवाब देंहटाएंतुम आओगे
मोबाईल से निकल कर
मेरे पास और.....
मुझे बाहों में समेट कर
धीरे से कहोगे
मेरे कानों में
कि....
तुम्हें मुझसे प्यार है....!!"
पूनम जी,
अन्य रचनाओं से अलग यह कविता मीठे अहसासों को समाने लाती है. इसमें जो प्रयोग हुआ है उससे इसके अर्थ का प्रभाव क्षेत्र व्यापक हो गया.इसकी दृश्यता इसके करीब होने का अहसास करती है.बहुत खूबसूरत.
मोबाइल से निकल कर आना ... हाथ थामना ... ल;अजवाब है ये ख्याल भी ....
जवाब देंहटाएंaaj ki jindgi me jhankti rachna.aaj ki jaroorat mobile ka bahut achcha chitran kiya hai aapne.
जवाब देंहटाएंमैंने बहुतों को देखा है...
जवाब देंहटाएंजो अपना मोबाईल...
अपने से ऐसे
चिपका के रखते हैं...
जैसे दो शरीर एक जान हों...!
mobile ekk bimari bann gaya hai...
http://shayaridays.blogspot.com