शुक्रवार, 27 मई 2011


आज की बारिश..........

आज की  बारिश
कुछ इस तरह हुई
कि...
मेरे मन को
कुछ नए से
एहसास दे गई......
और टेरेस पर बैठे-बैठे
बारिश में भीगते-भीगते
मैं कुछ इस तरह लिख गई.....








आज मैंने देखा
बादल का
एक छोटा सा टुकड़ा
तेजी से उड़ते हुए
और सोचा ये....
कि
इस पर बैठकर
तुम भी तो  सकते थे..... !

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बारिश की बूँदें
तन की अगन को
शांत कर गईं 
और 
मन को-
तुम.......!! 

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मैंने तुम्हें
आज फिर
महसूस किया.....
घने काले बादलों में,
कड़कती बिजली की चमक में,
बारिश की फुहार में,
तन पर गिरती
ठंडी बूंदों में,
और
चेहरे पर
गिरती जुल्फों को
हटाते हुए
जैसे तुम
कह रहे हो
कानों में मेरे...
कि-
तुम पास हो मेरे !
मेरे बहुत-बहुत पास !!

8 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत बहुत अच्छी लगी आपकी यह कविता.

    सादर

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  2. बारिश के माध्यम से सुन्दर प्रेमभरे भावों का समन्वय.
    'आज की बारिश' तो प्रेम रस बरसा गई.
    सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति के लिए आभार.

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  3. बारिश की बूँदें
    तन की अगन को
    शांत कर गईं
    और
    मन को-
    तुम.......!!

    beautifully written.

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  4. aap kitna bhagyashali hain jo unke aane ko itni shiddat se mahsoos kar payin.....
    wo badal ke usi tukde par baith kar aate hain......aapki pasand ka pura khyal rahna hai unhen....ye jante hain wo !

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  5. utar aayi thi wo kuch ess tarah paani ki choti -2 bundoan ke sang mere aangan me ,tha barish ka mosam par aag lag gayi thi tan mann me .....nice ..wahhh aaj kya khoob barsha paani .yaad aayi kisi ko kisi ke pyar ki kahani ...punam jee barish abhi waki.hai abhi to suruaat hai ..

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  6. बहुत सुन्दर भावों से भरी क्षणिकाएं ...

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  7. पूनम जी, बहुत हीप्‍यारी कविता है। आपकी शब्‍द वर्षा में हम भी भीग से गये।

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    हंसते रहो भाई, हंसाने वाला आ गया।
    अब क्‍या दोगे प्‍यार की परिभाषा?

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  8. hasratein kyaa nahee sochne aur kahne ko mazboor kartee
    man ke bhaav bataate hein armaan pooraa hone kee ichhaa kitnee prabal hotee hai

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