बुधवार, 13 अप्रैल 2011



नींदें.......

"नींदें"
आवारा ही होती हैं.....
जब चाहो तो नहीं आती
और....
बिन बुलाये ही
आ जाती हैं!
जिसको चाहो
उसे आने नहीं देती हैं
और अनजाने  को 
मेहमां बना बैठती हैं..!!
जहाँ चाहो
वहाँ नहीं जाने देतीं...
और...
अनजानी जगह
पहुंचा देती हैं..!!
सच में....
"नींदें आवारा" ही होती हैं....!!"

9 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत खूब ..अभी तक मुझे लगता था कि ख्वाब आवारा होते हैं :):)

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  2. सच कहा आपने नींदें वाकई आवारा ही होती हैं.
    मेरे ब्लॉग पर आकर स्नेह देने के लिए आपका दिल से शुक्रिया.

    सादर

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  3. ख्वाब के साथ-साथ नींदें भी आवारा....क्या बात है....
    यहां तक लाने के लिए धन्यवाद

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  4. नींद पर आपकी उम्दा सोच से भरी यह रचना अच्छी लगी !
    आभार !

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  5. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  6. पूनम जी,

    ये ब्लॉग भी आपका अच्छा लगा......खूबसूरत.....सपनो कि जगह नींदों का इस्तेमाल कुछ अलग सा लगा......प्रशंसनीय |

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  7. क्या करें नींदें ऐसी ही होती हैं .....बहुत सुंदर

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  8. पूनम जी, नींद एक छोटे बच्चे की तरह होती जो रूठ जाये तो मनाने में बहुत मुश्किल होती है अच्छी सोंच , बधाई

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  9. जहाँ चाहो
    वहाँ नहीं जाने देतीं...
    और...
    अनजानी जगह
    पहुंचा देती हैं..!!
    सच में....
    "नींदें आवारा" ही होती हैं....!!"

    बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति |

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