गुरुवार, 9 जनवरी 2014

हम यहीं थे कभी...हम यहीं हैं अभी...!




वो उठाते नहीं...नाज़ नखरे कभी...
हम कहाँ जायेंगे...आ गए...बस अभी...!
जब कभी फिक्र हो तो बुला लीजिए..
हम यहीं थे कभी...हम यहीं हैं अभी...!

नींद मेरी उड़ा के वो पूछा किये...
आप सो जाइए...हम जगेंगे अभी...! 

नाम रोशन हुआ इस कदर है यहाँ..
छोड़ महफ़िल को ना जायेंगे हम कभी..

दोस्त कहते हो हमको...खफा तुम ही हो...
है बुरी बात...बदलो अभी के अभी...!!

अब इजाज़त हमें दीजिए बज़्म से...
हम मिलेंगे यहीं...शुक्रिया है अभी...!  





7 टिप्‍पणियां:

  1. दोस्त कहते हो हमको...खफा तुम ही हो...
    है बुरी बात...बदलो अभी के अभी...!!

    क्या बात है पूनम जी, आपसे कौन दोस्त खफा होने का दुस्साहस कर सकता है.
    नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ.

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