बाँहों में बाहें डाले....देखा किये तुम्हें...
महसूस हो रहा था क्या...अब तुमसे क्या कहें...!!
खामोश तुम थे और मैं गुमसुम सी हो गयी..
कुछ तुमने भी कहा तो था...अब तुमसे क्या कहें..!!
थी चांदनी फैली हुई...हर सू फिज़ा में यूँ..
थी रात भी खामोश कुछ...अब तुमसे क्या कहें...!!
गाती थी ये हवा....मेरे कानों में इस तरह...
आवाज़ थी तेरी ही...मगर तुमसे क्या कहें....!!
आ जाओ अगर आ सको...फिर से तुम एक बार
बेचैन है ये दिल मेरा...अब तुमसे क्या कहें...!!
***पूनम***
लाजवाब ....
जवाब देंहटाएंआ जाओ अगर आ सको,फिर से तुम एक बार
जवाब देंहटाएंबेचैन है अब दिल मेरा,अब तुमसे क्या कहें...!!बहुत उम्दा प्रस्तुति...
Recent post: रंग,
थी चांदनी फैली हुई...हर सू फिज़ा में यूँ..
जवाब देंहटाएंथी रात भी खामोश कुछ...अब तुमसे क्या कहें...
चांदनी तो रात की खामोशी की दास्तां कह रही थी ...
बहुत ही गहरे भाव लिए ...
आ जाओ अगर आ सको...फिर से तुम एक बार
जवाब देंहटाएंबेचैन है अब दिल मेरा...अब तुमसे क्या कहें...!!
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति ..
गहन और सुन्दर।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर रचना...
जवाब देंहटाएं:-)
बहुत खूब
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर और भावपूर्ण प्रस्तुतिकरण एक गहरे अर्थ के साथ-----बधाई
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग में भी सम्मलित हों----आग्रह है
jyoti-khare.blogspot.in
आ जाओ अगर आ सको...फिर से तुम एक बार
जवाब देंहटाएंबेचैन है ये दिल मेरा...अब तुमसे क्या कहें...!!
मैं चुप हूँ या ये कह लीजिये स्तब्ध हूँ