बुधवार, 19 सितंबर 2012

लफ्ज़ खो जाते हैं.......






लफ्ज़ खो जाते  हैं  खामोश जुबां  होती  है 
लाये ज़ज्बात कहाँ...आँख मिलाने के लिए !

हम तो समझे थे कि हम ही हैं उस्ताद बड़े 
यहाँ ग़ालिब हैं बहुत शेर सुनाने के लिए !

चल सको तो ...ज़रा सी देर मेरे साथ चलो
दिल की कुछ बात कहें तुमको रुलाने के लिए !

दिल पे तेरे मेरे दिल ने बहुत दस्तक दी थी
उठ सका तू न मगर मुझको मनाने के लिए !

बदगुमानी...बदजुबानी  नहीं  सीखी जाती 
एक मौका दे जमाना तो  बताने  के लिए !

राह  में  दूर  तलक रौशनी  ही  रौशनी  है
कहाँ है आँख उसे देखने..दिखाने के लिए !





21 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत खूब....२ और आखिरी शेर बढ़िया लगा ।

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  2. आपकी यह बेहतरीन रचना शनिवार 22/09/2012 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जाएगी. कृपया अवलोकन करे एवं आपके सुझावों को अंकित करें, लिंक में आपका स्वागत है . धन्यवाद!

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  3. चल सको तो ...ज़रा सी देर मेरे साथ चलो
    दिल की कुछ बात कहें तुमको रुलाने के लिए ..

    कितना दर्द होगा इन बातों में ... बहुत खूब ... लाजवाब शेर है ...

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  4. वाह लाजवाब ग़ज़ल खास कर इस शे'र के लिए कुछ ज्यादा ही दाद कुबूल कीजिये

    चल सको तो ...ज़रा सी देर मेरे साथ चलो
    दिल की कुछ बात कहें तुमको रुलाने के लिए !

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  5. बहुत बढ़िया गजल..
    हर शेर लाजवाब..
    बेहतरीन...
    :-)

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  6. बढ़िया गज़ल पूनम जी....
    चल सको तो ...ज़रा सी देर मेरे साथ चलो
    दिल की कुछ बात कहें तुमको रुलाने के लिए !
    बहुत सुन्दर शेर...

    अनु

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  7. चल सको तो ...ज़रा सी देर मेरे साथ चलो
    दिल की कुछ बात कहें तुमको रुलाने के लिए !
    bahut sundar ...!!

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  8. चल सको तो ...ज़रा सी देर मेरे साथ चलो
    दिल की कुछ बात कहें तुमको रुलाने के लिए !

    इस कलयुग में कुछ दूर साथ चलने वाले ही तो बड़ी मुश्किल से मिलते हैं....
    सुंदर रचना..

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  9. हम तो समझे थे कि हम ही हैं उस्ताद बड़े
    यहाँ ग़ालिब हैं बहुत शेर सुनाने के लिए !


    हम तो समझे थे कि हम ही हैं उस्ताद बड़े
    यहाँ ग़ालिब हैं बहुत शेर सुनाने के लिए !

    हम तो समझे थे उनका हाथ हमारे ही लिए ,
    हाथ काले हैं उनके ,हमको दिखाने के लिए .

    नोट झड़ते नहीं हैं पेड़ों से ,

    निकले कई रोबो ,समझाने के लिए .

    बहुत बढ़िया प्रस्तुति .बधाई .

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  10. लफ्ज़ खो जाते हैं खामोश जुबां होती है
    लाये ज़ज्बात कहाँ...आँख मिलाने के लिए !

    badhiya gazal...badhai!

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  11. चल सको तो ...ज़रा सी देर मेरे साथ चलो
    दिल की कुछ बात कहें तुमको रुलाने के लिए !

    बहुत खूब ...

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  12. चल सको तो ...ज़रा सी देर मेरे साथ चलो
    दिल की कुछ बात कहें तुमको रुलाने के लिए !क्‍या बात है...

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  13. हम तो समझे थे कि हम ही हैं उस्ताद बड़े
    यहाँ ग़ालिब हैं बहुत शेर सुनाने के लिए !

    haha bahut khoob...bahut sundar:-)

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  14. यहाँ ग़ालिब हैं बहुत शेर सुनाने के लिये !

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  15. लफ्ज़ खो जाते हैं खामोश जुबां होती है
    लाये ज़ज्बात कहाँ...आँख मिलाने के लिए !
    सुंदर |
    मेरी नई पोस्ट:-
    मेरा काव्य-पिटारा:पढ़ना था मुझे

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