रात की सियाही में जब चंद ख्वाब जगते हैं...
हम खोजते हैं उनको,वो तलाश अपनी करते हैं..!
जिंदगी बुनती है कुछ कच्चे पक्के से धागों को
हम बस उन्हीं से एक सुकूं की चादर बुनते हैं...!
आ ही जायेगी नींद हमें भी और उनको भी
अभी तलक जो हमारे साथ साथ जगते हैं...!
रहेंगे दूर कब तलक वो हमसे या रब
तन्हाई में भी जो साथ साथ चलते हैं.....!!
तन्हाई में भी जो साथ साथ चलते हैं.....!!
अच्छी रचना
जवाब देंहटाएंजिंदगी बुनती है कुछ कच्चे पक्के से धागों को
जवाब देंहटाएंहम बस उन्हीं से एक सुकूं की चादर बुनते हैं...
जिंदगी के लम्हों से बुनी चादर हमेशा सुकून देती है ...
लाजवाब गहरा भाव लिए ...
गहरे भाव लिए सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंअरुन = www.arunsblog.in
जिंदगी बुनती है कुछ कच्चे पक्के से धागों को
जवाब देंहटाएंहम बस उन्हीं से एक सुकूं की चादर बुनते हैं...
उस चादर को ओड़ने के बाद नींद भी अच्छी आती है
वाह बहुत ही खुबसूरत , शानदार हैं खासकर २ और ३ शेर ।
जवाब देंहटाएंbahut badhiya .....
जवाब देंहटाएंरहेंगे दूर कब तलक वो हमसे या रब
जवाब देंहटाएंतन्हाई में भी जो साथ साथ चलते हैं.....!!
बहुत सुंदर भाव !