बहुत ही बढ़ियासादर
अरे सेमल का तकिया बना कर बिंदास सोया जाय...:-)प्यारी रचना है पूनम जी...मेरे आईडिया पर ध्यान ना दें...सस्नेह.
:))....
इक ज़रा सी आहट भी,तेरा एहसास दिला जाए !और चाह कर भी तू न आये.....तो बोलो......क्या किया जाये.....???सच में बहुत गंभीर प्रश्न है ....लेकिन ऐसे हालत में इश्क और भी परिपक्व होता जाता है ..लेकिन बहुत देर तक इन्जार करना भी तो सही नहीं है ???
......... :))
वाह |||इंतजार के लम्हे बहुत सुन्दर है..सुन्दर कविता.....
बस यह कविता किसी तरह उसे पढ़ा दी जाये ....कौन है जो खिंचा नहीं चला आएगा ...!
बहुत सुन्दर !!नवरात्र की हार्दिक शुभकामनाएँमेरा नया पोस्ट प्रेम और भक्ति में हिसाब !
प्रेम की गहरी आकांक्षा लिए ... पर तू ही न आये तो क्या किया जाय ...बहुत खूब ...
इंतजार की घडी बड़ी सुहानी होती है ! सुन्दर भाव
और चाह कर भी तू न आये.....तो बोलो......क्या किया जाये.....??? SUNDAR :)
intezar intezar aur intezar :-)
पूनम जी नमस्ते !और चाह कर भी तू न आये.....तो बोलो......क्या किया जाये.....???हर फूल, बदल , हवा ... हर शह से यही सवाल है .... बहुत ही सुन्दर ....मेरी रचना "दो छवियाँ" पर आपकी काव्यात्मक टिप्पणी के लिए बहुत बहुत आभार ...
बहुत ही अच्छी प्रस्तुति । धन्यवाद ।
chanchal se ...khoobsoorat ehsaas ....!!bahut sunder rachna ....!!
इंतज़ार... इंतज़ार... इंतज़ार...तेरे आने का फिर न जाने का... बहुत कोमल रचना, बधाई.
chahker bhi tu na aaye to ...bolo .... kya kiya jaye ...!!!!!aaj anjane me aapke blog per aa gayi hun ab to aati hi rahungi ... Poonam
और चाह कर भी तू न आये.....तो बोलो......क्या किया जाये.....???मुश्किल सवाल जवाब तो आपको ही देना हैं ......
sochna hi chhod diya jaye.
सुन्दर रचना है!
बहुत ही बढ़िया
जवाब देंहटाएंसादर
अरे सेमल का तकिया बना कर बिंदास सोया जाय...
जवाब देंहटाएं:-)
प्यारी रचना है पूनम जी...मेरे आईडिया पर ध्यान ना दें...
सस्नेह.
:))....
हटाएंइक ज़रा सी आहट भी,
जवाब देंहटाएंतेरा एहसास दिला जाए !
और चाह कर भी तू न आये.....
तो बोलो......
क्या किया जाये.....???
सच में बहुत गंभीर प्रश्न है ....लेकिन ऐसे हालत में इश्क और भी परिपक्व होता जाता है ..लेकिन बहुत देर तक इन्जार करना भी तो सही नहीं है ???
......... :))
हटाएंवाह |||
जवाब देंहटाएंइंतजार के लम्हे बहुत सुन्दर है..
सुन्दर कविता.....
बस यह कविता किसी तरह उसे पढ़ा दी जाये ....कौन है जो खिंचा नहीं चला आएगा ...!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर !!
जवाब देंहटाएंनवरात्र की हार्दिक शुभकामनाएँ
मेरा नया पोस्ट
प्रेम और भक्ति में हिसाब !
प्रेम की गहरी आकांक्षा लिए ... पर तू ही न आये तो क्या किया जाय ...
जवाब देंहटाएंबहुत खूब ...
इंतजार की घडी बड़ी सुहानी होती है ! सुन्दर भाव
जवाब देंहटाएंऔर चाह कर भी तू न आये.....
जवाब देंहटाएंतो बोलो......
क्या किया जाये.....??? SUNDAR :)
intezar intezar aur intezar :-)
जवाब देंहटाएंपूनम जी नमस्ते !
जवाब देंहटाएंऔर चाह कर भी तू न आये.....
तो बोलो......
क्या किया जाये.....???
हर फूल, बदल , हवा ... हर शह से यही सवाल है ....
बहुत ही सुन्दर ....
मेरी रचना "दो छवियाँ" पर आपकी काव्यात्मक टिप्पणी के लिए बहुत बहुत आभार ...
बहुत ही अच्छी प्रस्तुति । धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंchanchal se ...khoobsoorat ehsaas ....!!
जवाब देंहटाएंbahut sunder rachna ....!!
इंतज़ार... इंतज़ार... इंतज़ार...तेरे आने का फिर न जाने का... बहुत कोमल रचना, बधाई.
जवाब देंहटाएंchahker bhi tu na aaye to ...bolo .... kya kiya jaye ...!!!!!
जवाब देंहटाएंaaj anjane me aapke blog per aa gayi hun ab to aati hi rahungi ... Poonam
और चाह कर भी तू न आये.....
जवाब देंहटाएंतो बोलो......
क्या किया जाये.....???
मुश्किल सवाल जवाब तो आपको ही देना हैं ......
sochna hi chhod diya jaye.
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना है!
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