बुधवार, 12 अक्तूबर 2011


कुछ ख्यालात.......


याद आती है कोई मखमली आवाज़ मुझे,
दिल से महसूस हुई आज कोई बात मुझे !

मैं कैसे खुद को भुला दूं तेरे इन अश्कों में,
अब तो हर वक़्त यही बात सताती है मुझे !

तू मेरे सामने है फिर भी नज़र नहीं आता,
मूँद लूँ  आँखें मैं अपनी ये ख़याल आये मुझे !

मेरा तुझसे जो नाता केवल एक दर्द का है,
क्यूँ मेरे दिल में उतर कर सताए जाए मुझे !


(कभी नेकी भी उसके जी में गर आ जाये है मुझसे
जफ़ाएं करके अपनी याद शर्मा जाये  है मुझसे )

21 टिप्‍पणियां:

  1. सुन्दर रचना के लिए बधाई स्वीकारें , आभार

    जवाब देंहटाएं
  2. कुछ कशिश सी है रचना में जो दिल को छू जाती है.

    जवाब देंहटाएं
  3. पूनम जी शानदार लफ़्ज़ों में बसी एक खूबसूरत ग़ज़ल..........और आखिर में ग़ालिब के शेर का तड़का.....वाह...

    और हाँ आप जो अपनी ग़ज़ल का शीर्षक देती हैं उसे ब्लॉग पोस्ट करते समय शीर्षक के स्थान पर लिखा करो.......तो उससे ब्लॉग की पोस्ट शीर्षक के लिंक के साथ दिखती है |

    जवाब देंहटाएं
  4. आह, आपकी कविता एक श्रध्दांजली महसूस हुई उस मखमली आवाज (जगजीत सिंग) को जो अब नही रही ।

    जवाब देंहटाएं
  5. मैं कैसे खुद को भुला दूं तेरे इन अश्कों में,
    अब तो हर वक़्त यही बात सताती है मुझे !
    sundar panktiyaan

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत सुन्दर प्रस्तुति| आभार|

    जवाब देंहटाएं
  7. (कभी नेकी भी उसके जी में गर आ जाये है मुझसे
    जफ़ाएं करके अपनी याद शर्मा जाये है मुझसे
    yah hai sher gajab vaah vaah ........

    जवाब देंहटाएं
  8. आपकी यह रचना प्रभावित करती है ....
    शुभकामनायें आपको !

    जवाब देंहटाएं
  9. मेरा तुझसे जो नाता केवल एक दर्द का है,
    क्यूँ मेरे दिल में उतर कर सताए जाए मुझे

    आपकी रचना मन को दोलायनान सी कर जाती है ।
    धन्यवाद ।

    जवाब देंहटाएं
  10. बढ़िया ख़यालात को लेकर सुन्दर रचना..
    हार्दिक शुभकामनायें..

    जवाब देंहटाएं
  11. दिल में उतर जाते हैं आपके ख्यालात ... बहुत लाजवाब ...

    जवाब देंहटाएं