आकर्षण..........
जिन्दगी के इस
उतार-चढ़ाव में भी
रहते हैं दोनों साथ-साथ....
कभी-कभी मौन,
तो कभी कुछ बुदबुदाते,
कुछ चीखते-चिल्लाते...
बहे चले जा रहे हैं
एक-दूसरे का
हाथ पकड़े हुए
जोर से..
छोड़ने की चाह में
बंधन और कसता जाता है...!
कुछ है जो उन्हें एक-दूसरे से
जुदा नहीं होने दे रहा है...!
दोनों ही समर्पित खुद को,
साथ-साथ एक-दूसरे को भी,
विपरीत का बंधन भी
आकर्षण से कम नहीं...!
विवाह जैसे बंधन को बखूबी बयान किया है आपने......बहुत सुन्दर पोस्ट|
जवाब देंहटाएंविपरीत का बंधन भी
जवाब देंहटाएंआकर्षण से कम नहीं.
वाह क्या बात कही है आपने.
अंतिम पंक्तियाँ रचना का सार है , बधाई
जवाब देंहटाएंbhut hi sundar rachna
जवाब देंहटाएंvikasgarg23.blogspot.com
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति |बधाई
जवाब देंहटाएंआशा
'विपरीत का बंधन भी
जवाब देंहटाएंआकर्षण से कम नहीं '
,,,,,,,,,,,,,वाह , शाश्वत सत्य को उद्घाटित करती पंक्तियाँ
बहुत सुन्दर हृदयस्पर्शी भावाभिव्यक्ति....
जवाब देंहटाएंबंधन प्रेम का हो तो साथ छूटता नहीं है .. लाजवाब रचना ...
जवाब देंहटाएंवाह! रात और प्रात की यात्रा... बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति...
जवाब देंहटाएंसादर...
दोनों ही समर्पित खुद को,
जवाब देंहटाएंसाथ-साथ एक-दूसरे को भी,
विपरीत का बंधन भी
आकर्षण से कम नहीं...!
सुन्दर अभिव्यक्ति ... यह समर्पण ही है तो आकर्षित करता है
पहली बार आपके ब्लाग पर आया हूं
जवाब देंहटाएंवाकई बहुत अच्छा लगा
बहुत सुंदर रचना है
प्रस्तुति काबिले तारीफ
ek dusre ko poornta dene wali soch par naye shabdo se manak tay karti sunder abhivyakti.
जवाब देंहटाएं"विपरीत का बंधन भी
जवाब देंहटाएंआकर्षण से कम नहीं...!"
आपकी नवीनतम "तू और मैं"... और इस पोस्ट दोनों के चित्र ने मुझे आकर्षित किया....
अच्छे लेखन के लिए बधाई हो ....