दोहरापन....
मन की बातों को
समझना और जानना
दोनों ही बड़ा कठिन है..!!
ऊपर-ऊपर के हमारे शब्द
जब हमारे भावों से
मेल न खाएं,
शब्द कुछ कहें
और चेहरे के भाव
कुछ और ही बताएं
तो........
कहीं कुछ चुभता है
एक छलावे का एहसास सा
करा जाता है मन को.....!
जो लोग जीते हैं
दोहरी जिन्दगी को...
दोहरे एहसास को...
हर पल, हर वक़्त
उनके लिए तो
आसान है ये सब ,
लेकिन जिनके लिए
मन के एहसास ही
जिंदगी भी हों ,
उनके लिए मुश्किल है
ऐसी दोहरी नीति,दोगलापन !
और फिर....
सारी बातें,सारे स्पर्श
झूठे लगते है तब !!
जब हम कुछ कहें
और हमारे चेहरे के भाव,
आँखें और खोया-खोया सा
ये मन कुछ और कहे ...
तब.....!!
मन परमात्मा का दिया अनमोल दर्पण है.
जवाब देंहटाएंनिर्मल मन पाना ही हमारा ध्येय होना चाहिये.
मन के बारे में सुन्दर अहसास कराती आपकी
अभिव्यक्ति के लिए आभार.
मेरे ब्लॉग पर आपका इंतजार है ,पूनम जी.
सच्चे मन से !
जो लोग जीते हैं
जवाब देंहटाएंदोहरी जिन्दगी को...
दोहरे एहसास को...
हर पल, हर वक़्त
उनके लिए तो
आसान है ये सब ,
लेकिन जिनके लिए
मन के एहसास ही
जिंदगी भी हों ,
उनके लिए मुश्किल है
ऐसी दोहरी नीति,दोगलापन
एक दम सही कहा अपने ....मन और भावनाएं कौन समझ सका है इन्हें ..लेकिन जो समझना हर किसी के बस की बात नहीं .....आपका आभार
सच कहूँ पूनम जी तो ऐसा लगा जैसे अपनी ही कहानी पढ़ रहा हूँ..........बहुत सच्ची बात कही है आपने ........लोग अलग अलग होते हैं ........अभी कुछ दिनों पहले ही ऐसे हालातों से गुज़रा हूँ.........सच मन को समझाना बहुत मुश्किल होता है ......न जाने कैसे लोग चेहरे पर चेहरा चढ़ा लेते हैं ........बहुत अच्छा लगता है जब आप जैसी ही सोच वाला कोई मिलता है ..........अब तो लगता है हमारे जैसे लोगों के लिए ये दुनिया अब रह नहीं गयी.........सब तरफ स्वार्थ,मतलब....झूठ का बोलबाला है|.........मुझे आपकी ये पोस्ट बहुत पसंद आई|
जवाब देंहटाएंबहुत गहन अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंअलग दुनिया के अलग है लोग
खुद को समझने वाले कम है लोग
मिली है यादो कि दुनिया
पर जीने वाले ...कम है लोग .............अनु
दोहरी जिन्दी जीना उम्र भर ... क्या ये भी आसान है ... और अगर हो तो क्यु हो ..
जवाब देंहटाएंदोहरी ज़िंदगी जीना कोई आसान काम नहीं है| सशक्त रचना, आभार
जवाब देंहटाएंदोहरा जीवन जीना मुश्किल तो होता है पर नामुमकिन नहीं।
जवाब देंहटाएंसादर