गुरुवार, 15 सितंबर 2011




मुक्ति.....



कभी-कभी-
जीवन में.....
कितनी सहजता से
मुक्ति मिल जाती है
हर चीज़ से...
कि आप कल्पना नहीं कर सकते है,
जब तक-
आप किसी चीज़ को पकड़ कर
रखने कि कोशिश करते  हैं,
तो उसके छूटने पर
आपको दर्द और दुःख का
एहसास होता है.
जब हाथ ही खुला हो
तो छूटने का या--
छोड़ने का दर्द नहीं होता..
हथेली पर,
और उसके एहसास को
आप हमेशा महसूस कर सकते हैं !!
बंद मुट्ठी
खुलने पर तनाव का
एहसास दिलाती है !!
फिर  बात हथेली की हो
या दिल की...............!!!

7 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सहजता से आपने अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त किया है .

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  2. जब हाथ ही खुला हो
    तो छूटने का या--
    छोड़ने का दर्द नहीं होता..
    हथेली पर,
    और उसके एहसास को
    आप हमेशा महसूस कर सकते हैं !!
    bahut sateek baat...umda bhaav.

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  3. मैं आपकी बात से पूरी तरह से सहमत हूँ मेरा भी यही सोचना है की इंसान हो या कुछ और हमें उसे बंधना ही नहीं चाहिए प्यार भी तभी करीब आता है जब उसे स्वतंत्र छोड़ा जाता है |
    बहुत खूबसूरत भाव और रचना |

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  4. पूनम जी बहुत अच्छी बात कही आपने.........पर हथेली को खुला रखना इतना आसन तो नहीं है इंसानी फितरत यही है जैसे ही कुछ हाथ आये फ़ौरन मुट्ठी बंद कर लो.......बहुत साधने पर कहीं ऐसा हो पाता है की हथेली खुली रहे |

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