खामोशियाँ........
जब मिले हम
कुछ न कुछ
कहते रहे
सुनते रहे,
हाथ में
बस हाथ थामे
हम यूँ ही बैठे रहे !
क्या कहा तुमने ?
सुना मैंने ?
ये जानूं न !
शब्द यूँ ही...
निरर्थक बहते रहे !
नयन से
नयनों की भाषा
कह रही थी कुछ !
अधर से
अधरों के कम्पन
सुन रहे थे कुछ !
धड़कने दिल की
न जाने थम गयीं क्यूँ ?
मूँद कर नयनों को
काँधे सिर धरा क्यूँ ?
समझ पायी
इस मिलन को
मैं आज तक न !
क्यूँ करूँ स्नेह इतना
मैं जान पायी न !
धड़कने
बस धड़कनों को
तोलती हैं,
कुछ कहो न आज बस
क्योंकि तुम्हारी
खामोशियाँ ही बोलती हैं....!!
जब मिले हम
कुछ न कुछ
कहते रहे
सुनते रहे,
हाथ में
बस हाथ थामे
हम यूँ ही बैठे रहे !
क्या कहा तुमने ?
सुना मैंने ?
ये जानूं न !
शब्द यूँ ही...
निरर्थक बहते रहे !
नयन से
नयनों की भाषा
कह रही थी कुछ !
अधर से
अधरों के कम्पन
सुन रहे थे कुछ !
धड़कने दिल की
न जाने थम गयीं क्यूँ ?
मूँद कर नयनों को
काँधे सिर धरा क्यूँ ?
समझ पायी
इस मिलन को
मैं आज तक न !
क्यूँ करूँ स्नेह इतना
मैं जान पायी न !
धड़कने
बस धड़कनों को
तोलती हैं,
कुछ कहो न आज बस
क्योंकि तुम्हारी
खामोशियाँ ही बोलती हैं....!!
खामोशियाँ ही बोलती है.....सच है मुहब्बत लफ़्ज़ों की मोहताज नहीं होती .....बहुत खूब |
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंकुछ कहो न आज क्योकि बस तुम्हारी ख़ामोशी ही बोलती है
जवाब देंहटाएंक्योकि मेरे दिल की हर धड़कन बस नाम तुम्हारा बोलती है ..... बहुत सुन्दर ....पूनम जी
कुछ कहो न आज बस
जवाब देंहटाएंक्योंकि तुम्हारी
खामोशियाँ ही बोलती हैं....!!
कुछ खामोशियाँ दिल के करीब होती है
अधर से
जवाब देंहटाएंअधरों के कम्पन
सुन रहे थे कुछ !
naye naye blogs ko padhnein ki aadat aap tak le aayee.. utkrist rachna ..hardik badhayi
bahut accha mano kuch aap kahna chahti ho
जवाब देंहटाएंmy blog link- "samtat bundelkhand"
mohabbat ki lafz khamoshi hi hoti hai sayad...:)
जवाब देंहटाएंkhamoshiyon me najre bolti hain......:)
pyari see rachna......
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंजी बढिया है, बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंखामोशियाँ बोलती हैं !
जवाब देंहटाएंYes,silence speaks very emphatically.
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर,
जवाब देंहटाएंआभार,
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
प्यार की भाषा का अनुपम निरूपण किया है आपने.
जवाब देंहटाएंकुछ कहो न आज बस
क्योंकि तुम्हारी
खामोशियाँ ही बोलती हैं....!!
प्यार में सब कुछ संभव है.
आखिर यह दिल से होता है,
जुबां कुछ न बोले तब भी
दिल की भाषा में बातें होतीं हैं.
धड़कने
जवाब देंहटाएंबस धड़कनों को
तोलती हैं,
कुछ कहो न आज बस
क्योंकि तुम्हारी
खामोशियाँ ही बोलती हैं....!!
.....
नदी के वेग जैसा सहज है आपके प्रेम का प्रवाह और क्या कहूं कुछ प्रश्न हमेशा अनुत्तरित ही रहते हैं ...
आपको नमन !
"शब्द यूँ ही...
जवाब देंहटाएंनिरर्थक बहते रहे !
नयन से
नयनों की भाषा
कह रही थी कुछ !
अधर से
अधरों के कम्पन
सुन रहे थे कुछ !"
पूनम जी,
भावनाओं से ओत-प्रोत रचना के लिए बधाई.आपने तो एक साथ ही सूर और बिहारी को साथ ला खड़ा किया है.मन को झंकृत करती रचना.
शब्दों का जादू .. मन में उतरती हुई नज़्म , क्या कहूँ .. ख़ामोशी छा गयी है जेहन में .. बस..
जवाब देंहटाएंआभार
विजय
------------
कृपया मेरी नयी कविता " फूल, चाय और बारिश " को पढकर अपनी बहुमूल्य राय दिजियेंगा . लिंक है : http://poemsofvijay.blogspot.com/2011/07/blog-post_22.html