"तुम्हारे बालों को अपने हाथों से सहलाते हुए मेरा जी चाहता है... तुमसे ढेर सी बातें करने का कभी-कभी.....!!" पूनम जी, कभी-कभी दिल में ऐसी चाहत जगती है.बहुत कोमल और मखमली अहसास लिए है है आपकी रचना.
तारों से भरे नीले आसमान के नीचे खुली छत पर चांदनी की बिछी >>
तुम होले से आना बिना शोर किया मुझ से मिल जाना कही भनक न लग जाये चांदनी को तुम्हारे आने की तुम तारों से भी नजरें बचा के आना ,.......होले से मेरे कान में तुम वो फिर वही धुन फिर से गुनगुना जाना .....
खूबसूरत ख्वाहिश
जवाब देंहटाएंkhubsurat soch....
जवाब देंहटाएंlovely !!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर!
जवाब देंहटाएंकोमल अहसासों को व्यक्त करती आपकी चाहत अनोखी सी है.
जवाब देंहटाएंचाहत ही जीवन की पतवार है.
सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार.
मेरे ब्लॉग पर आईयेगा.चाहत का वर्णन करती ही नई पोस्ट लिखी है.
sukomal bhaavon ko prastut karti rachna pyari lagi.
जवाब देंहटाएंवाह ...वाह.......दिल को छू लेने वाली पोस्ट है ये.......प्यार का नर्म सा अहसास.....शानदार|
जवाब देंहटाएंतुम्हारे बालों को
जवाब देंहटाएंअपने हाथों से सहलाते हुए
मेरा जी चाहता है...
तुमसे ढेर सी बातें करने का
कभी-कभी.....!!
सरलता में गहराई ज्यादा होती है पूनम जी बिना किसी बिम्ब और रूपक का इस्तेमाल किये हुए कितना कुछ कह गयी आप
वाह !
खूबसूरत अभिव्यक्ति..बधाई.
जवाब देंहटाएं___________________
शब्द-शिखर : 250 पोस्ट, 200 फालोवर्स
बहुत भावपूर्ण...
जवाब देंहटाएंखूबसूरत एहसास ... सादी सी ख्वाहिश ...
जवाब देंहटाएं"तुम्हारे बालों को
जवाब देंहटाएंअपने हाथों से सहलाते हुए
मेरा जी चाहता है...
तुमसे ढेर सी बातें करने का
कभी-कभी.....!!"
पूनम जी,
कभी-कभी दिल में ऐसी चाहत जगती है.बहुत कोमल और मखमली अहसास लिए है है आपकी रचना.
बहुत खूब.
जवाब देंहटाएंतारों से भरे
जवाब देंहटाएंनीले आसमान के नीचे
खुली छत पर
चांदनी की बिछी >>
तुम होले से आना
बिना शोर किया
मुझ से मिल जाना
कही भनक न लग जाये चांदनी
को तुम्हारे आने की तुम तारों से भी नजरें
बचा के आना ,.......होले से मेरे कान में तुम वो
फिर वही धुन फिर से गुनगुना जाना .....