सोमवार, 6 जून 2011


 

बसेरा......


प्रस्फुटित हों शब्द तुझसे,
तो वही है गीत मेरा....!!
गुनगुनाये तू जो सुर में,
है वही संगीत मेरा....!!
तू जहाँ ठहरा वहीँ पर,
बन गया गंतव्य मेरा....!!
तू जहाँ रहता है मन में,
है वहीँ मेरा बसेरा....!!


17 टिप्‍पणियां:

  1. वाह क्या बात है ...पूनम जी

    जीवन दर्शन को अभिव्यंजित करती पंक्तियाँ ....!

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  2. तू ही तो जन्नत मेरी .....

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  3. Achha kiya poonam ji ekdam hi mita diya khud ko...
    waah....kahin namo nishan tak nahi.....
    ab to ab to aapke paon chhune ka man kar raha hai

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  4. बहुत सुन्दर...सम्पूर्ण समर्पण

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  5. भाव ऐसा भर दिया है शब्द जीवित हो गए हैं
    अब सुमन चुपचाप सोचे पूनमी संगीत कैसा?
    सादर
    श्यामल सुमन
    ०९९५५३७३२८८
    www.manoramsuman.blogspot.com

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  6. तूने जान लिया तूने मान लिया ,मुझे ज़माने से क्या लेना जब तूने मुझे सब कुछ मान लिया .....

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  7. बहुत वढ़िया..
    हैं वहीं मेरा बसेरा, जहां तू रहता है मन में...क्या बात है

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  8. वाह! क्या शानदार बसेरा है पूनम जी.
    कोई ढूँढ भी नहीं सकता.

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  9. तू जहाँ रहता है मन में,
    है वहीँ मेरा बसेरा....!!

    ......punam ji....
    chhoti si kavita me kaise aap bhar dete ho sara jeewan main hamesha hi chakit ho jaata hun....bahut pyar bhari hoti hai apki kavitaayen !!

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