कुछ न कुछ बात तो हुई होगी
वो खफ़ा यूँ न हो गयी होगी...!
आज पलटा नक़ाब-ए-रुख उसने...
चाँदनी दिल में जल गयी होगी...!
चाँद चुपचाप कह गया है कुछ,
चांदनी मुँह छुपा गयी होगी...!
मैंने ज्यादा कहा नहीं कुछ भी...
फिर भी तबियत मचल गयी होगी...!
ज़ुल्फ़ सुलझा रहा है हाथों से...
उसकी कंघी ही खो गयी होगी...!
दाद दे दी है उसको इतनी सी...
कि उसकी भूख मर गयी होगी...!
आते आते लगी है देर हमें...
शाम-ऐ-फुरकत है ढल गयी होगी...!
प्रभावित करती सुंदर गजल ...!
जवाब देंहटाएंRECENT POST : अपनी राम कहानी में.
आते आते लगी है देर हमें...
जवाब देंहटाएंशाम-ऐ-फुरकत है ढल गयी होगी..
बहुत खूब .. लाजवाब बात कह दी इस शेर के माध्यम से ...
bahut khubsurat di
जवाब देंहटाएंकल 11/10/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
सुन्दर ग़ज़ल
जवाब देंहटाएंबहुत प्यारी गज़ल..
जवाब देंहटाएंएक बेहतरीन और खूबसूरत गजल....
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