मैं एतबार के काबिल उसे समझती रही तमाम राज़ दिल के उससे share करती रही... हमारे दिल की कहीं कोई ग़लतफ़हमी थी वो झूठ बोल रहा था बड़े सलीके से...!! वाह . बहुत उम्दा,सुन्दर व् सार्थक प्रस्तुति कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
वाह !!! बहुत उम्दा लाजबाब प्रस्तुति,,,
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर, क्या बात
जवाब देंहटाएंकांग्रेस के एक मुख्यमंत्री असली चेहरा : पढिए रोजनामचा
http://dailyreportsonline.blogspot.in/2013/07/like.html#comment-form
गजब है
जवाब देंहटाएंओ पिछली रुत के साथी
अबके बरस मैं तनहा हूँ।
पधारिये और बताईये निशब्द
बहुत खूब.
जवाब देंहटाएंदिल तो है दिल...क्या कीजे !
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जवाब देंहटाएंमैं एतबार के काबिल उसे समझती रही
तमाम राज़ दिल के उससे share करती रही...
हमारे दिल की कहीं कोई ग़लतफ़हमी थी
वो झूठ बोल रहा था बड़े सलीके से...!!
वाह . बहुत उम्दा,सुन्दर व् सार्थक प्रस्तुति
कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
ये उनकी अदा है ... झूठ भी बोलते हैं ऐसे की मज़ा देने लगता है ...
जवाब देंहटाएंकुछ सिखाती समझाती कविता...... बहुत सुंदर भाव
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर...
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई...
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